मेट्रो कारशेड पर इसलिए विराम!

राज्य सरकार ने 1 अक्तूबर 2020 को एक आदेश दिया था। मुंबई उपनगर जिलाधिकारी द्वारा जारी इस आदेश में 102 एकड़ के भूखंड को कांजुरमार्ग कारशेड के लिए आबंटित किया गया था। आरे कॉलोनी में बननेवाले कारशेड के पर्याय के तौर पर ये कारशेड बनना था।

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कांजुरमार्ग में मेट्रो कारशेड निर्माण का कार्य ठंडे बस्ते में जा सकता है। मुंबई उच्च न्यायालय ने कारशेड के कार्य को तुरंत रोकने का आदेश दिया है। इसके पहले न्यायालय ने सरकार से अपने निर्णय को वापस लेने को कहा था।

राज्य सरकार ने 1 अक्तूबर 2020 को एक आदेश दिया था। मुंबई उपनगर जिलाधिकारी द्वारा जारी इस आदेश में 102 एकड़ के भूखंड को कांजुरमार्ग कारशेड के लिए आबंटित किया गया था। आरे कॉलोनी में बननेवाले कारशेड के पर्याय के तौर पर ये कारशेड बनना था। यह जमीन सॉल्ड पैन लैंड है जिस पर केंद्र सरकार अपना मालिकाना बता रही है। राज्य सरकार ने इस पर अपना अधिकार बताते हुए निर्णय लिया था। जिसे केंद्र सरकार की ओर से मुंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी।

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ये है मामला

1 अक्तूबर 2020 को राज्य सरकार ने उपनगर जिलाधिकारी के मार्फत कांजुरमार्ग के सॉल्ड पैन लैंड के 102 एकड़ के भूखंड को मेट्रो कारशेड के लिए आबंटित किया था। इस आबंटन के अनुसार सर्वे क्रमांक 275(हिस्सा) के 102 एकड़ के भूखंड को मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजनल डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) को दिया गया था। इस भूखंड पर केंद्र सरकार अपना मालिकाना हक मानती है। 6 अक्तूबर को इस भूखंड को उपनगर जिलाधिकारी ने एमएमआरडीए को सौंपा था इसके दो दिनों बाद एमएमआरडीए ने इसे दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को सौंप दिया। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ही इस कारशेड का निर्माण करने वाली है।

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क्या है केंद्र का कहना

केंद्र सरकार का पक्ष है कि सॉल्ट पैन लैंड के अंतर्गत ही ये 102 एकड़ का भूखंड आता है। सॉल्ड पैन लैंड उसके अधिकार में आती है। इस पर सीधा नियंत्रण सॉल्ट पैन कमिश्नर का होता है। इसके अनुरूप उसने राज्य सरकार के निर्णय के विरुद्ध याचिका दायर की थी। इस मामले की सुनवाई मुंबई उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस गिरीष कुलकर्णी कर रहे थे।

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