ट्वीटर की एक याचिका को कनार्टक उच्च न्यायालय ने आज खारिज कर दिया। साथ ही उसके इस व्यवहार के लिए उस पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने 45 दिन के भीतर जुर्माना अदा करने के लिए भी कहा है। ट्वीटर ने केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से कुछ साइट्स और एप्स पर रोक लगाने के आदेश को चुनौती दी थी।
सोशल मीडिया के ब्लॉगिंग मंच ट्वीटर ने पिछले महीने जून में मंत्रालय के आदेश के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की थी। उसने दावा किया था कि मंत्रालय का आदेश सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69-ए और अनुच्छेद-14 का उल्लंघन है, जिनमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित की गई है। इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय ने गृह मंत्रालय की सिफारिश और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर सट्टेबाजी की एक सौ अड़तीस साइट और ऋण देने वाले 94 एप्स पर रोक लगा दी थी। केंद्र ने हाईकोर्ट को बताया था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करने वाला संविधान का अनुच्छेद 19 ट्विटर पर लागू नहीं होता है क्योंकि ट्विटर एक विदेशी कंपनी है।
गौरतलब हो कि प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ट्विटर को कुछ कंटेंट ब्लॉक करने का आदेश दिया था। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69A के तहत, केंद्र सरकार उससे या उसकी एजेंसी मध्यस्थों (इस मामले में ट्विटर) से किसी भी कंटेंट को सार्वजनिक पहुंच यानी पब्लिक एक्सेस तक पहुंचने से रोकने के लिए कह सकती है।
बता दें कि जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित ने ट्विटर को फटकार लगाते उस पर कई सवाल उठाते कहा कि ट्विटर को नोटिस दिया गया था और उसने इसका पालन नहीं किया। अनुपालन न करने पर सात साल की कैद और अनलिमिटेड जुर्माना है। इससे भी ट्वीटर पर असर नहीं पड़ा। साथ ही उसने कोई कारण भी नहीं बताया कि अनुपालन में देरी क्यों हुई? हाईकोर्ट ने हिदायत देते हुए यह भी कहा कि आप जिसका ट्वीट ब्लॉक कर रहे हैं, उसे कारण भी बताएं। और यह भी क्लियर करें कि यह प्रतिबंध कितने समय के लिए लगाया गया है। हाईकोर्ट ने यह फैसला 21 अप्रैल को सुरक्षित रख लिया था।
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