सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियां अब केरल में जेल पहुंचा सकती हैं। इस विषय में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार अध्यादेश ले आई है। इस पर राज्यपाल ने हस्ताक्षर भी कर दिये हैं। इसके अस्तित्व में आने के बाद केरल में ‘अन’सोशल होने या तोल-मोल के न बोलने पर जेल की चक्की पीसनी पड़ेगी।
पुलिस रखेगी नजर
केरल पुलिस सोशल मीडिया पर सीधे नियंत्रण करेगी। इसके लिए वहां की लेफ्ट सरकार ने एक अध्यादेश पारित किया है, जिसके अनुसार आक्षेपार्ह टिप्पणियों, धमकी भरे संदेश, घृणा वाले मैसेज पर संदेशकर्ता को पांच साल की जेल या 10 हजार रुपए का अर्थ दंड या दोनों हो सकता है। इसके लिए सरकार ने केरल पुलिस एक्ट में नया सेक्शन जोड़ दिया है।
शिकायत बगैर होगी कार्रवाई
सरकार द्वारा पारित नए अध्यादेश के अनुसार सेक्शन 118 (ए) में पुलिस को यह अधिकार है कि वह किसी सोशल मीडिया कंटेट पर स्वत: संज्ञान (सुओ मोटो) ले सकती है। सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार नए कानून से महिलाओं और बच्चों को सबसे अधिक सुरक्षा मिलेगी। इसके अलावा हेट स्पीच और साइबर धोखे से भी सुरक्षा मिल पाएगी।
फ्रीडम ऑफ स्पीच पर हमला
विपक्ष में कांग्रेस और बीजेपी ने इस कानून का विरोध किया है। उनके अनुसार ये लोगों के फ्रीडम ऑफ स्पीच के अधिकार पर सरकार का हमला है। केरल के अधिवक्ताओं के अनुसार 118 (ए) को जिस तरह से महिलाओं का रक्षक बताया जा रहा है उसके उलट इस कानून का उपयोग प्रशासन और सरकार उनके विरुद्ध करेगी जो उसका विरोधी होगा।