लखीमपुर खीरी हिंसा: सर्वोच्च न्यायालय के ‘इस’ आदेश के बाद फिर बढ़ीं आशीष मिश्रा की मुश्किलें

सर्वोच्च न्यायालय ने लखीमपुर खीरी मामले के आरोपित आशीष मिश्रा की जमानत को लेकर अहम फैसला आया है। इसके बाद उनकी परेशानी बढ़ती दिख रही है।

134

सर्वोच्च न्यायालय ने लखीमपुर खीरी मामले के आरोपित आशीष मिश्रा की जमानत रद्द कर दी है। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने आशीष मिश्रा को एक हफ्ते में सरेंडर करने का आदेश दिया है।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पीड़ित पक्ष को नहीं सुना और जल्दबाजी में जमानत दे दी। सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय को दोबारा मामले की सुनवाई करने का आदेश दिया। 4 अप्रैल को न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इस तरह चली सुनवाई
सुनवाई के दौरान यूपी सरकार के वकील महेश जेठमलानी ने कहा था कि हमने हर गवाह को सुरक्षा दी है। 20 मार्च को एक-एक गवाह से व्यक्तिगत रूप से पता किया कि क्या उन्हें कोई खतरा महसूस हो रहा है, सबने मना किया। जेठमलानी ने कहा था कि हमने जो उच्च न्यायालय में कहा, वही हमारा रुख है।

ये भी पढ़ें – इटावा से फफूंद मेमू स्पेशल गाड़ी का शुभारंभ, देखें पूरा टाइम टेबल

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि साफ बताया गया था कि आशीष मिश्रा ने लोगों पर गाड़ी चढ़ाई। लेकिन उच्च न्यायालय ने जमानत देते हुए कह दिया कि गोली चलने के सबूत नहीं हैं। दवे ने कहा था कि मंत्री अजय मिश्रा धमकी दे रहे थे। उपमुख्यमंत्री का यात्रा मार्ग बदलने के बावजूद आरोपित उस रास्ते पर गया जिस पर किसान थे।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा था कि उच्च न्यायालय पोस्टमार्टम जैसी बातों पर क्यों गया। यह जमानत का मामला है। केस के मेरिट पर इतनी लंबी चर्चा की जरूरत नहीं थी। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था कि क्या जमानत से पहले पीड़ितों को सुना गया। तब दवे ने कहा कि नहीं। भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के मामले में आसानी से जमानत हो गई।

आशीष मिश्रा के वकील रंजीत कुमार ने कहा कि पुलिस को किसानों की तरफ से दी गई रिपोर्ट में ही कहा गया है कि गोली से एक किसान मरा। तभी उच्च न्यायालय ने गोली न चलने की बात कही। लोगों ने यह भी कहा कि आशीष गन्ने के खेत में भाग गया। घटनास्थल पर गन्ने का खेत था ही नहीं, धान का था। रंजीत कुमार ने कहा था कि केंद्रीय मंत्री के गांव में दंगल होना था। आंदोलन कर रहे लोगों ने उपमुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर न उतरने देने की धमकी दी थी। इसी लिए मार्ग बदला गया। रंजीत कुमार ने कहा था कि अगर सर्वोच्च न्यायालय आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करेगा तो फिर जमानत कौन देगा। मुझे विस्तार से जवाब के लिए 3 दिन दीजिए। रंजीत कुमार ने कहा था कि यह कहना गलत है कि उच्च न्यायालय ने किसी को नहीं सुना। वहां पीड़ितों को भी सुना गया था। तब जस्टिस हीमा कोहली ने पूछा कि ऐसे संगीन मामले में आपको जमानत की क्या जल्दी थी? तब रंजीत कुमार ने कहा कि क्योंकि मेरा केस यही है कि मैं घटनास्थल पर नहीं था। गांव में था, जहां दंगल हो रहा था।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने रंजीत कुमार से पूछा था कि आप यह कह रहे हैं कि हमने बेल रद्द की तो आप हमेशा जेल में रहेंगे। तब रंजीत कुमार ने कहा था कि हमें यही लगता है। उच्च न्यायालय इस मामले को नहीं छुएगा। एसआईटी सीसीटीवी के आधार पर कह रही है कि मैं पैदल चलते हुए सात मिनट में घटनास्थल से 2.8 किलोमीटर दूर अपने गांव पहुंच गया। क्या यह संभव है।

यूपी सरकार के वकील जेठमलानी ने कहा था कि जमानत के केस में मिनी ट्रायल नहीं होना चाहिए था। लेकिन 10 फरवरी के बाद से कोई अवांछित घटना नहीं हुई। आरोपी के फरार होने का भी कोई खतरा नहीं है। जेठमलानी ने कहा था कि हमें एसआईटी ने कहा कि आरोपी गवाहों को नुकसान पहुंचा सकता है। हमने पर्याप्त सुरक्षा दी है। हमें आशंका नहीं लगी। जेठमलानी ने कहा था कि हम एक बार फिर सभी गवाहों से संपर्क कर सुरक्षा का जायज़ा लेना चाहते हैं। तब दवे ने कहा था कि राज्य सरकार कह रही है कि 10 फरवरी के बाद कुछ नहीं हुआ। 10 मार्च को एक गवाह पर हमला हुआ। उसे धमकी दी गई कि बीजेपी पावर में आ गई है, देखना क्या होगा तुम्हारे साथ।

30 मार्च को उच्च ने कहा था कि एसआईटी ने सिफारिश की है कि राज्य सरकार आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने का आवेदन कोर्ट में दे। निगरानी करने वाले जज ने भी इसकी सिफारिश की है।

बता दें कि यूपी सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि उसने आशीष मिश्रा की जमानत का उच्च न्यायालय में कड़ा विरोध किया। यूपी सरकार ने कहा था कि आशीष मिश्रा को मिली जमानत को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने पर विचार हो रहा है। यूपी सरकार ने कहा है कि मामले के एक गवाह पर हमले और धमकी का आरोप गलत है। यह होली का रंग डालने से जुड़े विवाद में दो पक्षों के बीच मारपीट का मामला है।

उच्च ने पिछले 16 मार्च को आशीष मिश्रा और उत्तरप्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले के गवाहों को सुरक्षा देने का आदेश दिया था। उच्च ने यूपी सरकार को निर्देश दिया था कि वो गवाह पर हुए हमले पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। 11 मार्च को लखीमपुर खीरी कांड में मारे गए किसानों के परिजन की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष इस मामले को मेंशन करते हुए सुनवाई की मांग की थी। उन्होंने चीफ जस्टिस से कहा कि इस मामले के एक गवाह पर 10 मार्च की रात हमला हुआ ।

वकील प्रशांत भूषण के जरिए दायर याचिका में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से मिली जमानत को रद्द कराने की मांग की गई है। याचिका में कहा कि आशीष मिश्रा की ज़मानत को उत्तर प्रदेश सरकार ने चुनौती नहीं दी इसलिए हमको उच्च आना पड़ा। याचिका में कहा गया है कि इस मामले में चार्जशीट 3 जनवरी को दाखिल की गई है और आशीष मिश्रा ने चार्जशीट की बातों को उच्च न्यायालय के संज्ञान में नहीं लाया।

बता दें कि वकील शिवकुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा ने भी सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर इलाहाबाद उच्च न्यायालय का आदेश रद्द करने की मांग की है।

याचिका में कहा गया है कि आशीष मिश्रा को जमानत देकर उच्च न्यायालय ने गलती की है। याचिका में कहा गया है कि अभी तक केंद्रीय मंत्री से पूछताछ नहीं हुई है। इस मामले में एसआईटी का काम असंतोषजनक है। याचिका में कहा गया है कि आरोपी खुलेआम घुम रहे हैं और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना है। आशीष मिश्रा के जेल से बाहर आने से गवाहों के प्रभावित होने की आशंका है। गवाहों को अपने जान पर खतरा महसूस हो रहा है।

बता दें कि आशीष मिश्रा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद 15 जनवरी को जेल से रिहा कर दिया गया था। लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर 2021 को हुई हिंसा में आठ लोगों की जान चली गई थी। इस मामले में एसआईटी ने 3 जनवरी को लखीमपुर की न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। चार्जशीट में आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बनाया गया है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.