भूकंप के आने की मुख्य वजह धरती के अंदर प्लेटों का टकरना है। धरती के भीतर सात प्लेट्स होती हैं। यह लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। इन प्लेट्स के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है। इसकी वजह से धरती हिलती है। इसे ही भूकंप कहा जाता है।
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भूकंप की श्रेणी
- रिक्टर स्केल पर 2.0 से कम तीव्रता वाले भूकंप को माइक्रो कैटेगरी में रखा गया है। यह भूकंप महसूस नहीं होते। रिक्टर स्केल पर माइक्रो कैटेगरी के 8,000 भूकंप विश्व में प्रतिदिन रिकार्ड किए जाते हैं।
- रिक्टर स्केल पर 2.0 से 2.9 तीव्रता वाले भूकंप को माइनर कैटेगरी में रखा जाता है। ऐसे 1,000 भूकंप प्रतिदिन आते हैं। इन्हें भी सामान्य तौर पर महसूस नहीं किया जा सकता।
- वेरी लाइट कैटेगरी के भूकंप 3.0 से 3.9 तीव्रता वाले होते हैं। ऐसे भूकंप एक साल में 49,000 बार आते हैं। इन्हें महसूस तो किया जाता है लेकिन इनसे कोई नुकसान पहुंचता है।
- लाइट कैटेगरी के भूकंप 4.0 से 4.9 तीव्रता वाले होते हैं। यह पूरी दुनिया में एक साल में करीब 6,200 बार रिक्टर स्केल पर दर्ज किए जाते हैं। इन झटकों को महसूस किया जाता है और इनसे घर का सामान हिलता नजर आता है। हालांकि इनसे न के बराबर ही नुकसान होता है।