भारत का चंद्रयान-3 निर्धारित प्रक्रिया का अनुरूप चंद्रमा की सतह का अध्ययन कर रहा है। लेकिन, इस सफलता के बाद भारत का अंतरिक्ष अध्ययन धीमा नहीं हुआ है, बल्कि, पांच बड़े मिशन लांच किये जाने की तैयारी में हैं। जिसमें से एक मिशन तो सितंबर 2023 में ही लांच किया जाएगा। ये हैं वह पांच मिशन जिस पर इसरो काम कर रहा है और यह भी जान लें कि इनका संभावित प्रक्षेपण कब हो सकता है।
मंगलयान-2 (Mangalyan-2): इसरो मंगलयान-2 पर तेजी से कार्य कर रहा है। इसके पहले मंगलयान-1 (Mangalyan-1) को सफलतापूर्वक 5 नवंबर, 2013 में भारत ने लांच किया था, जिसकी लागत मात्र 450 करोड़ रुपए थी। जो अमेरिका और रूस के मंगल मिशन के सामने बहुत ही कम था। अब मंगलयान-2 पर कार्य हो रहा, इस पर फ्रांस (France) और भारत (india) संयुक्त रूप से कर रहे हैं। इस बार मंगलयान-2 के माध्यम से भारत मंगल ग्रह पर ऑर्बिटर (Orbiter) और लैंडर (Lander) भेजेगा। जो मंगल ग्रह का विस्तृत अध्ययन करेगा। मंगलयान-2 को वर्ष 2024 में प्रक्षेपित किये जाने की संभावना है।
आदित्य एल-1 (Aditya L-1): आदित्य यानि सूर्य (Sun) यह अपनी गर्मी के कारण सदा ही विश्व के लिए पहेली बना रहा है। इसकी तनिक सी तपिश बढ़ने से धरती के जीवों की दुर्गति होने लगती है। सूर्य के इन्हीं गुणों के अध्ययन के लिए भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो आदित्य एल-1 पर कार्य रहा है। आदित्य एल-1 को अगले महीने यानि सितंबर में प्रक्षेपित किया जाएगा। इस उपग्रह में सात पेलोड्स होंगे, जो सूर्य का बहुआयामी अध्ययन करेंगे। भारत का सूर्य ग्रह के अध्ययन का यह पहला मिशन है। आदित्य एल-1 के माध्यम से इसरो (ISRO) सूर्य के प्रकाश, आसपास मौजूद कण, सूर्य की बाहरी परत यानि कोरोना का अध्ययन किया जाएगा।
गगनयान (Gaganyan): चंद्रयान-3 (Chandryan-3) की सफलता के पश्चात अब भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (Indian Space research Organisation) की योजना में अगला मिशन है गगनयान। गगनयान के माध्यम से भारत चंद्रमा (Moon) पर तीन अतंरिक्ष यात्रियों (Astronauts) को भेजने की तैयारी कर रहा है। गगनयान पर भारत वर्ष 2007 से कार्य कर रहा है। जिन तीन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना है उनमें दो पुरुष और एक महिला अंतरिक्ष यात्री होंगे। गगनयान को वर्ष 2024 में प्रक्षेपित किया जा सकता है।
शुक्रयान (Shukrayan): भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की परियोजनाओं में शुक्र मिशन (Venus) भी है। इसे वर्ष 2023 में ही प्रक्षेपित किया जाना था, परंतु, कोविड-19 काल में आए प्रतिबंधों के कारण परियोजना प्रभावित हुआ है। अब इसे वर्ष 2024 में प्रक्षेपित किया जा सकता है। शुक्र ग्रह पृथ्वी (Earth) से 6 करोड़ किलोमीटर दूर है। शुक्र के विषय में यह अध्ययन किया गया है कि, पृथ्वी और शुक्र 19 महीने के अंतराल में सबसे पास होते हैं। यह स्थिति वर्ष 2024 में होगी, यदि उस समय शुक्रयान प्रक्षेपित न हो पाया तो वर्ष 2026, 2028 या 2031 में इसे प्रक्षेपित किया जा सकता है। शुक्रयान को यदि 2024 से 2028 के बीच प्रक्षेपित किया जाता है तो, भारत विश्व का पहला देश होगा जो शुक्र ग्रह के लिए अंतरिक्ष यान प्रक्षेपित करेगा।
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निसार: भारत (Indai) और अमेरिका (America) धरती पर होनेवाली प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व जानकारी प्राप्त करने के लिए एक अंतरिक्ष मिशन पर कार्य कर रहे हैं। जिसके अंतर्गत नासा इसरो सिंथेटिक अपर्चर राडार (NISAR) पर कार्य कर रहे हैं। निसार धरती के जलवायु, हिमशिलाओं, बायोमास, प्राकृतिक आपदा, भूस्खलन, भूजल स्तर, समुद्र स्तर, भूकंप, ज्वालामुखी आदि का अध्ययन करेगा। निसार को वर्ष 2024 के आरंभ में प्रक्षेपित किया जा सकता है।
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