मुंबई शहर में कभी पॉकेट मारों की गैंग सक्रिय थी। लोकल ट्रेन, बस या सड़क पर चलने के बीच एक धक्का लगा और पर्स या घड़ी गायब हो जाती थी। पर समय बदला डिजिटल क्रांति आई और पर्स हल्के हो गए। जब पर्स हल्के हुए तो पॉकेटमारी का धंधा नए रूप में विकसित हो गया। यह है, मोबाइल छिनैती के रूप में। शहर में प्रतिदिन सैकड़ो मोबाइल छीनैती या हाथ की सफाई से निकाल लिये जाते हैं। जिन्हें खरीदते हैं, मुंबई के कुछ ऐसे क्षेत्र के दुकानदार जो मोबाइल मरम्मत की दुकान लेकर बैठे हैं, परंतु, मुख्य काम है चोरी के मोबाइल खरीदना। इस काम का हॉट स्पॉट है मुंबई का मानखुर्द, ट्रॉम्बे। जहां मरम्मत की दुकान चलानेवाले इन्हें खरीदते हैं और उत्तर के राज्य या विदेश भेज देते हैं।
चोरी के माल के हॉटस्पॉट का कैसे चला पता?
मुंबई पुलिस की अपराध नियंत्रण शाखा के कक्ष 6 ने मोबाइल चोरी की शिकायतों में बढ़ोतरी होने के बाद जांच शुरू की थी। इसमें पुलिस को मानखुर्द और ट्रॉम्बे के मोबाइल बाजार का पता चला। जब जांच आगे बढ़ी तो चोरी के मोबाइल खरीदनेवाले तीन लोग गिरफ्तार किये गए, इनके पास से 500 मोबाइल फोन जब्त किये गए। पकड़े गए खरीदारों से पुलिस ने जब कड़ाई से पूछताछ की तो मोबाइल चोरों के गिरोह का पता चला। इन चोरों के पास से पुलिस ने 140 मोबाइल फोन जब्त किये।
मोबाइल चोरों का बाजार
- पूर्वी उपनगर के छत्रपति शिवाजी नगर
- लल्लूभाई कंम्पाउंड
- चीता कैम्प
- मानखुर्द
- ट्रॉम्बे
चोरी के माल का दाम
मोबाइल फोन के झपटमार जब फोन लेकर आते हैं, तो खरीदनेवाले दुकानदार इनकी स्थिति, ब्राण्ड और मूल मूल्य के अनुसार दाम देते हैं।
चोरी का मोबाइल खरीद मूल्य
50,000/- रुपए 10-15,000/- रुपए
20,000/- रुपए 6-7,000/- रुपए
10,000/- रुपए 3,000/- रुपए
चोरी के मोबाइल कहां भेजते हैं?
चोरी के मोबाइल खरीदने के बाद मुंबई के पूर्वी उपनगर के व्यापारी इसे कूरियर कंपनियों के माध्यम से, ट्रावेल्स की बस से उत्तर के राज्यों में भेजते हैं। मुंबई से चुराए गए मोबाइल की देश में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल में बहुत मांग है। जबकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार में नेपाल, बांग्लादेश में मोबाइल फोन बेचे जाते हैं। इन देशों में चोरी के मोबाइल की बहुत मांग है।
चोरी से लेकर बिकने तक ऐसी है टीम
मोबाइल स्नैचर या चोर : गिरोहबाज चोर सार्वजनिक स्थलों से मोबाइल फोन छिनैती करते हैं, इसके अलावा ऐसे भी गिरोह हैं, जो ट्रेनों में मोबाइल फोन चुराते हैं। सूत्रों के अनुसार मोबाइल फोन चुरानेवालों को प्रति फोन की कीमत के आधार पर पैसे मिलते हैं। कई ऐसे गरोह भी हैं, जो दूसरे राज्यों से आनेवाले या जल्द पैसा कमाने की इच्छा रखनेवाले युवकों को माहवारी 15 हजार रुपए में रख लेते हैं।
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चोरी के माल का खरीदार : चोरी के मोबाइल को छोटी दुकानें चलानेवाले या मरम्मत करनेवालों को बेचा जाता है। जो सबसे पहले आईएमआआई नंबर बदल देते हैं। वे इसे बाहर के खरीदारों को बेचते हैं।
कूरियर कंपनी या ट्रावेल्स : चोरी के मोबाइल को बाहर भेजने का सबसे सस्ता और विश्वसनीय साधन है कूरियर कंपनी या ट्रावेल्स की बसें। इनके माध्यम से जहां मोबाइल भेजना होता है, उसे भेज दिया जाता है।
सीमा के पास मोबाइल रिसीव करनेवाला गिरोह : सीमा पार कराने के लिए एक दल होता है जो, मुंबई से भेजे गए चोरी के मोबाइल फोन रिसीव करता है और उसे सीमार पार खरीदार व्यापारियों को सौंप देता है।
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