IPC 406: 1860 में बनी भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) (आईपीसी) की धारा 406 (section 406) आपराधिक विश्वासघात (criminal breach of trust) के लिए दंड निर्धारित करती है। धारा 406 के मुताबिक कोई भी व्यक्ति जो विश्वास का आपराधिक उल्लंघन करता है। और संपत्ति के खरीद बिक्री या स्थानांतरं में आपराधिक विश्वासघात करता है। जिसे भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 405 में परिभाषित किया गया है। इसलिए, धारा 405 में अपने स्वयं के शीर्षक से, यह स्पष्ट है कि जब कोई “व्यक्ति” किसी संपत्ति का कब्ज़ा “किसी” को हस्तांतरित करने के लिए “किसी” पर अपना भरोसा रखता है, फिर “कोई” संपत्ति को बरकरार रखकर “व्यक्ति” के भरोसे को तोड़ता है, जो आईपीसी की धारा 406 के दायरे में आता है।
आईपीसी की धारा 406 के तहत आपराधिक विश्वासघात क्या है?
आम भाषा में विश्वास का आपराधिक उल्लंघन तब होता है जब आरोपी किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति को अपने उपयोग में लेकर या परिवर्तित करके संपत्ति के सर्वोत्तम हित में अपराध करता है। संपत्ति का मालिक और ग्राहक एक संबंध स्थापित करते हैं जिसमें मालिक कानूनी स्वामित्व बरकरार रखता है। फिर भी, ग्राहक के पास अंतरणकर्ता या किसी अन्य व्यक्ति के लाभ के लिए इसकी अभिरक्षा या नियंत्रण होता है।
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आईपीसी की धारा 406 के तहत सजा
आपराधिक विश्वासघात करने के लिए सज़ा की अवधि आईपीसी की धारा 406 में बताई गई है। परिस्थितियों के आधार पर, अपराधी को तीन साल की जेल, जुर्माना या दोनों की सजा दी जाती है। आपराधिक विश्वासघात एक गैर-जमानती (non-bailable) और संज्ञेय अपराध है जिसकी सुनवाई केवल प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट (first class magistrate) द्वारा की जा सकती है। इसके अलावा, अदालत की सहमति से, संपत्ति का मालिक जिसके संबंध में विश्वास का उल्लंघन हुआ है, अपराध को कम कर सकता है।