चंद दिन पहले महाराष्ट्र में भारी बारिश से मची तबाही में दो सौ से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इसके साथ ही लाखों लोग बेघर हुए हैं, जबकि सैकड़ों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इस स्थिति में महाराष्ट्र सरकार निशाने पर है। एनडीआरएफ की टीम को महाराष्ट्र सरकार द्वारा अनुमति देने में देर करने की बात कही जा रही है।
अनुमति देने में क्यों हुआ विलंब?
बता दें कि 22 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बात कर प्रदेश की स्थिति की जानकारी ली थी। लेकिन सीएम ने तब एनडीआरएफ की टीम भेजने की कोई बात नहीं की। उसके बाद जब कोंकण समेत प्रदेश के कई क्षेत्रों में स्थिति नियंत्रण से बाहर जाने लगी तो केंद्र से एनडीआरएफ की मांग की गई। तब तक बारिश ने प्रदेश के सांगली, सातारा और रायगढ़ आदि जिलों में तबाही का तांडव मचाना शुरू कर दिया था। अब सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने एनडीआरएफ की टीम को अनुमति देने में देर क्यों की, क्या इसमे केंद्र को निशाना बनाने का गेम प्लान था?
PM @narendramodi speaks to Maharashtra CM Uddhav Thackeray to discuss Maharashtra's situation amid heavy rainfall in parts of the state. He also assured of all possible support from the Centre to mitigate the situation. @OfficeofUT
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— Prasar Bharati News Services & Digital Platform (@PBNS_India) July 22, 2021
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भारी बारिश से महाराष्ट्र में तबाही
बता दें कि 21, 22, 23 और 24 जुलाई को मूसलाधार बारिश के कारण आई बाढ़ से राज्य के कई जिले बुरी तरह प्रभावित हुए । भारी बारिश के कारण आई बाढ़ और हादसों में 200 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। अभी भी कुछ स्थानों पर एनडीआरएफ की अगुवाई में बचाव और राहत कार्य चलाए जा रहे हैं। इसके लिए एनडीआरएफ के जवान रात दिन जुटे हुए हैं।
आखिर एनडीआरएफ है क्या?
आखिर एनडीआरएफ क्या है, जो देश में कहीं भी आपदा की स्थिति में बचाव और राहत कार्य चलाने के लिए दौड़ पड़ती है। बाढ़, भूकंप, तूफान, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक और कुछ मानव निर्मित आपदाओं के मामले में भी एनडीआरएफ द्वारा तत्काल सहायता और बचाव प्रदान किया जाता है।
ऐसे हुई शुरुआत
संयुक्त राष्ट्र ने आपात स्थिति से निपटने के लिए युकोहामा स्ट्रेटजी (1994) और ह्योगो फ्रेमवर्क फॉर एक्शन (2005) को स्वीकार किया। उन दिनों भारत को 1999 के ओडिशा तूफान, 2001 के गुजरात भूकंप और 2004 की सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा था। इसलिए, आपदा प्रबंधन योजना की व्यापक आवश्यकता को देखते हुए, केंद्र सरकार द्वारा 26 दिसंबर 2005 को आपदा प्रबंधन अधिनियम बनाया गया। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना आपदा प्रबंधन नीतियों, योजनाओं और दिशानिर्देशों पर निर्णय लेने के लिए की गई थी।
2006 में हुई स्थापना
केंद्रीय गृह मंत्रालय के तत्वावधान में आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) का गठन किया गया था। 2006 में एनडीआरएफ की 8 यूनिट बनाई गई थी। वर्तमान में इनकी संख्या बढ़कर 12 हो गई है, जिसमें कुल 1,149 कर्मचारी कार्यरत हैं। शुरुआत में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी भी इन्हीं जवानों को दी गई थी। लेकिन 2008 से एनडीआरएफ केवल आपदा प्रबंधन की जिम्मेदारी निभा रही है क्योंकि आपातकालीन प्रबंधन के लिए एक अलग तंत्र की जरूरत है।
महाराष्ट्र में एनडीआरएफ द्वारा अब तक चलाए गए बचाव अभियान
- 26 मई 2016 को डोंबिवली में आचार्य केमिकल कंपनी में सिलेंडर फट गया। उस वक्त एनडीआरएफ की ओर से दो दिन तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया था।
- मुंबई-गोवा राजमार्ग पर महाड और पोलादपुर के बीच सावित्री नदी पर बना पुल 2 अगस्त 2016 को मूसलाधार बारिश के कारण ढह गया। तब एनडीआरएफ और नौसेना ने संयुक्त बचाव अभियान चलाया। उस समय 117 लोगों को बचाया गया था।
- 2019 में पहाड़ी पर बनी केसरबाई इमारत ढह गई थी। उस समय एनडीआरएफ ने उसके मलबे के नीचे फंसे 6 लोगों को बचाने में कामयाबी हासिल की, जबकि 11 के शव बरामद किए गए थे।
- 24 अगस्त 2020 को महाड में एक इमारत के ढह जाने से बड़ा हादसा हो गया। दो दिवसीय बचाव अभियान के दौरान, एनडीआरएफ ने कुल 15 लोगों के शव बरामद किए, जबकि दो को बचा लिया।
- एनडीआरएफ कर्मियों ने 21 सितंबर, 2020 को भिवंडी में गिलानी भवन के विनाशकारी हादसे के बाद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तीन दिवसीय बचाव अभियान के दौरान, एनडीआरएफ ने 9 लोगों को बचाया और कुल 31 शव बरामद किए। एनडीआरएफ ने 35 लाख रुपये नकद भी बरामद किए।
- चंद दिन पहले महाराष्ट्र में भारी बारिश के कारण आई बाढ़ के कारण गांव में हुए हादसे में एनडीआरएफ की 34 टीम बचाव कार्य में लगी थी। इस अभियान में 1,800 लोगों को बचाया गया, जबकि 52 के शव बरामद किए गए।
अन्य देशों में भी की मदद
- जापान में 2011 की सुनामी के समय एनडीआरएफ की एक टीम बचाव के लिए जापान गई थी। उन्होंने 10 दिनों तक बचाव अभियान चलाया था। बचाव के साथ ही एनडीआरएफ ने पांच करोड़ येन से अधिक नकद बरामद कर जापान को सौंपा था। जापान के तत्कालीन प्रधान मंत्री ने इस काम के लिए भारत और एनडीआरएफ की काफी प्रशंसा की थी।
- 2015 में एक बड़े भूकंप के मद्देनजर एनडीआरएफ ने कुल 16 टीमों को पड़ोसी देश नेपाल भेजा था। इस बार भी बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया।
पूरे भारत में एनडीआरएफ की कुल 12 इकाइयां हैं। उनकी सूची इस प्रकार है-
01 बटालियन, गुवाहाटी (असम)
02 बटालियन, हरिंघाटा (सिक्किम)
03 बटालियन, मुंडाली (ओडिशा)
04 बटालियन, अरक्कोनम (अंडमान और निकोबार)
05 बटालियन, पुणे (महाराष्ट्र)
06 बटालियन, बड़ौदा (गुजरात)
07 बटालियन, बठिंडा (चंडीगढ़)
08 बटालियन, गाजियाबाद (दिल्ली-हरियाणा)
09 बटालियन, पटना (बिहार)
10 बटालियन, विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश)
11 बटालियन, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
12 बटालियन, दोईमुख (असम)