देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और इसके आसपास के शहरों में सोमवार को अचानक बिजली गुल हो जाने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। बताया जा रहा है कि एमएसईटीसीएल के कलवा-पडघा जीआईएस सर्किट-1 में मरम्मत का काम चल रहा था। इस दौरान बिजली का लोड सेकेंड यूनिट पर था। इस यूनिट में तकनीकी गड़बड़ी आने के कारण इतने बड़े पैमाने पर बिजली आपूर्ति बंद हो गई। कहा यह भी जा रहा है कि पावर ग्रिड में खराबी आने के कारण मुंबईकरों को इस परेशानी का सामना करना पड़ा।
जानते हैं पावर ग्रिड और बिजली आपूर्ति के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बातेंः
क्या होता है पावर ग्रिड?
पावर ग्रिड बिजली लाइनों का एक नेटवर्क होता है,जिसके जरिए बिजली उपभोक्ता तक सप्लाई की जाती है। यानी बिजली उत्पादन से लेकर लोगों के घरों और दफ्तरों तक पहुंचाने के लिए जिस नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाता है, उसे पावर ग्रिड कहते हैं।
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पावर जनेरेशन
पहले चरण में बिजली का उत्पादन किया जाता है। इसके लिए किसी पानी वाली जगह पर प्लांट लगाया जाता है। आम तौर पर अपने देश में नदियों पर बांध बनाकर बिजली तैयार की जाती है।
पावर ट्रांसमिसन
बिजली निर्माण के बाद इसके दूसरे फेज में इसकी सप्लाई उन राज्यों या इलाकों में की जाती है, जिनसे इसके लिए करार होता है।
पावर डिस्ट्रीब्यूशन
इसके बाद संबंधित पावर स्टेशनों से बिजली उपभोक्ताओं तक सप्लाई की जाती है। इसे पावर डिस्ट्रीब्यूशन कहा जाता है।
इन तीनों फेज में बिजली उत्पादन से लेकर उपभोक्ताओं तक पहुंचाई जाती है। इन चरणों में बिजली सप्लाई के लिए जिस नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाता है, उसे ही पावर ग्रिड कहा जाता है।
भारत में कुल पांच पावर ग्रिड हैंः
– नॉर्थ ग्रिडः पंजाब, हरियाणा,राजस्थान, दिल्ली, यूपी,उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश,जम्मू-कश्मीर,चंडीगढ़
– इस्टर्न ग्रिडः बंगाल, छत्तीसगढ़,बिहार,झारखंड,ओडिशा,सिक्किम
– नॉर्थ-ईस्ट ग्रिडःअरुणाचल प्रदेश,नागालैंड,असम,मेघालय,मणिपुर,मिजोरम और त्रिपुरा
– वेस्टर्न ग्रिडः महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश,गोवा
– साउथ ग्रिडःतेलंगाना,तमिलनाडु,केरल,कर्नाटक,आंध्र प्रदेश, पुड्डुचेरी
कैसे फेल होता है पावर ग्रिड?
भारत में बिजली का ट्रांसमिशन 49-50 हर्ट्ज की फ्रिक्वेंसी पर होता है। जब ये फ्रिक्वेंसी उच्चतम या न्यूनतम स्तर पर पहुंच जाती है तो पावर ग्रिड फेल होने का संकट गहरा जाता है। इस स्थिति में में ट्रांसमिशन लाइन पर ब्रेकडाउन हो जाता है। इसे ग्रिड फेल होना कहा जाता है। इस वजह से बिजली सप्लाई ठप हो जाती है।
जिन स्टेशनों से बिजली सप्लाई की जाती है, वहां फ्रिक्वेंसी पर ध्यान रखा जाता है। इन स्टेशनों को 48.5 से 50.2 हर्ट्ज के बीच फ्रिक्वेंसी मेंटेन रखनी पड़ती है। नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर इसके लिए राज्यों पर नजर रखता है। कई बार राज्य लिमिट से ज्यादा पावर की सप्लाई कर देते हैं। इससे ग्रिड फेल होने का संकट पैदा हो जाता है।