दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर सीबीआई शिकंजा कसने में जुट गई है। 19 अगस्त को एजेंसी के अधिकारियों की कई टीमें सिसोदिया के घर सहित 21 ठिकानों पर छापेमारी कर रही हैं। यह कार्रवाई दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति को लेकर की जा रही है। दावा किया जा रहा है, इस नीति में दिल्ली आबकारी एक्ट और दिल्ली आबकारी नियमों का खुला उल्लंघन किया गया है। इससे दिल्ली सरकार को 144 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। दिल्ली के उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश मुख्य सचिव की उस रिपोर्ट के आधार पर 8 जुलाई को भेजी थी।
जानते हैं, उन बिंदुओं को, जिनके आधार पर हो रही है सीबीआई की कार्रवाई
- दिल्ली के आबकारी विभाग की जिम्मेदारी मनीष सिसोदिया के पास है।
- नई आबकारी नीति को लागू करने में जीएनसीटी एक्ट -1991 , ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 के नियमों का उल्लंघन किए जाने का दावा किया जा रहा है।
- दिल्ली सरकार ने शराब की बिक्री के टेंडर जारी होने के बाद वर्ष 2021-22 में लाइसेंस हासिल करने वालों को कई तरह के कथित लाभ पहुंचाने के लिए आबकारी नीति में कई बदलाव किये।
- आबकारी मंत्री के निर्देश पर विभाग ने दिल्ली एयरपोर्ट जोन पर एल -1 नीलामीकर्ता को 30 करोड़ रुपए रिफंड करने का निर्णय लिया गया।
- दिलचस्प है ये नीलामीकर्ता ने एयरपोर्ट अथॉरिटी से जरूरी एनओसी तक नहीं लिया।
- यह दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 के रूल नंबर 48 (11) B का उल्लंघन है । सक्षम अधिकार प्राप्त प्राधिकरण से बिना अनुमति लिए बिना आबकारी विभाग ने 8 नवंबर 2021 को एक आदेश के तहत विदेशी शराब के रेट कैलकुलेशन का फार्मूला ही बदल दिया । नये फार्मूले के तहत बियर के प्रत्येक केस पर लगने वाली 50 रुपए की इंपोर्ट डयूटी हटा ली गई।
- कोविड के नाम पर 144.36 करोड़ रूपए की लाइंसेस फीस माफ कर दी गई, जबकि टेंडर दस्तावेजों में इसका कोई उल्लेख नही था।
- दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग ने बिना किसी ठोस आधार के कम से कम दो दुकानें खोलने की शर्त रखीं लेकिन टेंडर जारी होने के बाद इस नियम में छूट दी गई।
- शराब की ब्रिकी का खूब प्रचार प्रसार सोशल मीडिया पर किया गया।
- नॉन कन्फॉर्मिंग एरिया को कन्फर्मिंग एरिया में बदल दिया गया। इसकी किसी सक्षम अधिकार प्राप्त अथॉरिटी से कोई मंजूरी नही ली गई ।
- इतना ही नहीं, लाइसेंस की फीस में कई बदलाव किये गए। मसलन एल 7 जेड और पी लाइसेंस ऑपरेशन की समय सीमा 1 अप्रैल से 2022 से बढ़ाकर 31 मई 2022 की गई। इसके बाद इसे 1 जून से बढ़ाकर 31 जूलाई 2022 तक कर दिया गया ।