Kolkata rape-murder case: भाजपा ने सजा को बताया अन्याय, पीड़िता के माता-पिता भी नाखुश

इस फैसले से पीड़िता के माता-पिता नाखुश हैं। वह दोषी को मौत की सजा चाहते हैं। साथ ही उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए सवाल उठाए।

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File photo

Kolkata rape-murder case: आर जी कर मेडिकल कॉलेज (RG Kar Medical College) की डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले (doctor’s rape and murder case) में दोषी संजय रॉय (Sanjay Roy convicted) को कोलकाता (Kolkata) की सियालदह अदालत (Sealdah court) ने आजीवन कारावास (life imprisonment) की सजा सुनाई। इस सजा पर राजनीतिक प्रतिक्रिया तेज हो गई है। जहां भाजपा ने इसे “अन्याय” करार दिया। वहीं, सीपीआईएम ने मौत की सजा का विरोध करते हुए इसे न्यायसंगत बताया।

भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख और पश्चिम बंगाल के सह प्रभारी अमित मालवीय ने अदालत के फैसले की आलोचना की। उन्होंने कहा, “संजय रॉय को आजीवन कारावास और मात्र 50 हजार रुपये का जुर्माना देना न्याय का उपहास है। इस फैसले को चुनौती दी जानी चाहिए।”

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सबूत नष्ट करने का आरोप
मालवीय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तत्कालीन कोलकाता पुलिस आयुक्त पर सबूत नष्ट करने का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपराधियों को बचाने से बाज आएं। जांच एजेंसियों को इस मामले में सबूत नष्ट करने के लिए ममता बनर्जी और तत्कालीन पुलिस आयुक्त की भूमिका की जांच करनी चाहिए। न्याय केवल होना ही नहीं चाहिए, बल्कि दिखना भी चाहिए।” भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने भी फैसले पर असहमति जताते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल की जनता इस बात पर विश्वास नहीं करती कि इस मामले में केवल एक ही व्यक्ति दोषी है।” उन्होंने दोषी को मौत की सजा की मांग की और कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है।

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सजा से पीड़िता के माता-पिता नाखुश
इस फैसले से पीड़िता के माता-पिता नाखुश हैं। वह दोषी को मौत की सजा चाहते हैं। साथ ही उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए सवाल उठाए। पीड़िता की मां ने कहा कि मेरी बेटी को अस्पताल में ड्यूटी के दौरान दुष्कर्म कर मार डाला गया। क्या यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर घटना नहीं है? सीबीआई इसे साबित करने में विफल रही। यही कारण है कि दोषी को फांसी की सजा नहीं मिली। पीड़िता के पिता ने अदालत के फैसले को न्याय की ओर पहला कदम बताया। उन्होंने कहा कि हमें अभी पूरा न्याय नहीं मिल पाया। यह सीबीआई की असफलता है कि वह मामले को सही तरीके से प्रस्तुत नहीं कर पाए।

आरजी कर केस में कोर्ट ने दोषी संजय रॉय पर 50 हजार का जुर्माना लगाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही पीड़ित परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। हालांकि, पीड़िता के पिता ने मुआवजा लेने से इनकार करते हुए कहा कि हम अपनी बेटी को इस तरह बेच नहीं सकते। असली अपराधियों को सजा मिलने से ही हमारी बेटी की आत्मा को शांति मिलेगी। पहले भी उठाए थे सीबीआई पर सवालपीड़िता के माता-पिता ने पहले भी सीबीआई की जांच पर सवाल उठाए थे। उनका मानना है कि संजय अकेले यह अपराध नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रधानाचार्य संदीप घोष और टाला थाना के पूर्व ओसी अभिजीत मंडल को गिरफ्तार करने के बावजूद सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल नहीं की। परिवार ने अदालत से अपील की है कि मामले की और गहराई से जांच होनी चाहिए।

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पीड़ित परिवार ने आर्थिक मदद लेने से किया इनकार
अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार को पीड़ित परिवार को 17 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने का निर्देश दिया। हालांकि, पीड़ित के माता-पिता ने आर्थिक सहायता को लेने से इनकार कर दिया है। पीड़ित के माता-पिता ने अदालत के बाहर कहा, “हम इस सहायता को स्वीकार नहीं करेंगे। हमें न्याय चाहिए। यह केवल संजय की सजा नहीं, बल्कि पूरे तंत्र को जिम्मेदार ठहराने का मामला है।”

अदालत ने इस मामले को “विरलतम में विरल” नहीं मानते हुए फांसी की सजा की बजाय आजीवन कारावास का फैसला सुनाया। दोषी संजय रॉय ने अदालत में खुद को निर्दोष बताते हुए कहा, “मुझे झूठे आरोपों में फंसाया गया है। मैंने कुछ नहीं किया।” मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमने पहले दिन से दोषी को फांसी देने की मांग की थी और आज भी इस पर कायम हैं। अगर यह मामला हमारे हाथ में होता, तो हम पहले ही इसे अंजाम तक पहुंचा चुके होते।”

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