इतना हंगामा क्यों है भाई…! क्या है इन कृषि सुधार विधेयकों में?

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नई दिल्ली। कृषि क्षेत्र को लेकर तीन विधेयक दोनों सदनों में पास हो गए। सरकार और समर्थन करनेवाले दल इसे अहम बता रहे हैं तो कई किसान संगठन और विपक्ष इसके खिलाफ हैं। इस विधेयक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य और सरकारी खरीद जारी रहेगी, कुछ शक्तियां किसानों को भ्रमित करने में लगी हैं लेकिन इससे किसानों का मुनाफा बढ़ेगा। साल 2022 तक किसानों की आमदनी बढ़ाने का वादा करने वाली केंद्र सरकार के लिए ये विधेयक मील का पत्थर माने जा रहे हैं। लेकिन इन विधेयकों को लेकर संसद से लेकर सड़क तक विपक्ष हंगामा बरपा रहा है। कई किसान संगठन भी इस विधेयक के विरोध में उठ खड़े हुए हैं। सत्तारूढ़ दल की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल की केंद्र सरकार में एकमात्र मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने तो इस्तीफा दे दिया।
जिन विधेयकों को लेकर हंगामा है सरल शब्दों में जानते हैं कि तीनों कृषि विधेयक में है क्या?
राज्य सभा में कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 और कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक पारित हो चुका है।

विपक्ष हंगामा करता रहा, सत्ता पक्ष पास करा ले गया कृषि विधेयक
1) कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 –
राज्य सरकारों को मंडियों के बाहर की गई कृषि उपज की बिक्री और खरीद पर टैक्स लगाने से रोकता है और किसानों को लाभकारी मूल्य पर अपनी उपज बेचने की स्वतंत्रता देता है। सरकार का कहना है कि इस बदलाव के जरिए किसानों और व्यापारियों को किसानों की उपज की बिक्री और खरीद से संबंधित आजादी मिलेगी, जिससे अच्छे माहौल पैदा होगा और दाम भी बेहतर मिलेंगे। सरकार का कहना है कि इस अध्यादेश से किसान अपनी उपज देश में कहीं भी, किसी भी व्यक्ति या संस्था को बेच सकते हैं। इस अध्यादेश में कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी मंडियों) के बाहर भी कृषि उत्पाद बेचने और खरीदने की व्यवस्था तैयार करना है। इसके जरिये सरकार एक देश, एक बाजार की बात कर रही है।
किसान अपना उत्पाद खेत में या व्यापारिक प्लेटफॉर्म पर देश में कहीं भी बेच सकेंगे। इस बारे में केंद्रीय कृषमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि इससे किसान अपनी उपज की कीमत तय कर सकेंगे। वह जहां चाहेंगे अपनी उपज को बेच सकेंगे जिसकी मदद से किसान के अधिकारों में इजाफा होगा और बाजार में प्रतियोगिता बढ़ेगी।
2) आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन (The Essential Commodities (Amendment) Bill) – पहले व्यापारी फसलों को किसानों के औने-पौने दामों में खरीदकर उसका भंडारण कर लेते थे और कालाबाजारी करते थे, उसको रोकने के लिए Essential Commodity Act 1955 बनाया गया था जिसके तहत व्यापारियों द्वारा कृषि उत्पादों के एक लिमिट से अधिक भंडारण पर रोक लगा दी गई थी। अब नए विधेयक आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को हटाने के लिए लाया गया है।
इन वस्तुओं पर राष्ट्रीय आपदा या अकाल जैसी विशेष परिस्थितियों के अलावा स्टॉक की सीमा नहीं लगेगी। इस पर सरकार का मानना है कि अब देश में कृषि उत्पादों को लक्ष्य से कहीं ज्यादा उत्पादित किया जा रहा है। किसानों को कोल्ड स्टोरेज, गोदामों, खाद्य प्रसंस्करण और निवेश की कमी के कारण बेहतर मूल्य नहीं मिल पाता है।
3) किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill) – यह कदम फसल की बुवाई से पहले किसान को अपनी फसल को तय मानकों और तय कीमत के अनुसार बेचने का अनुबंध करने की सुविधा प्रदान करता है। इस अध्यादेश में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग की बात है। सरकार की मानें तो इससे किसान का जोखिम कम होगा। दूसरे, खरीदार ढूंढने के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा। सरकार का तर्क है कि यह अध्यादेश किसानों को शोषण के भय के बिना समानता के आधार पर बड़े खुदरा कारोबारियों, निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम बनाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कहते हैं कि इससे बाजार की अनिश्चितता का जोखिम किसानों पर नहीं रहेगा और किसानों की आय में सुधार होगी। सरकार का यह भी कहना है कि इस अध्यादेश से किसानों की उपज दुनियाभर के बाजारों तक पहुंचेगी। कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ेगा।

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