झील हादसा: रोते-बिलखते ऊना पहुंचे परिजन, चार बच्चे पहले खोए, एक था अब वो भी नहीं रहा

सभी शवों को पंजाब के मोहाली जिला के बनूड़ ले जाने के लिए पंजाब प्रशासन की तरफ से सात एंबुलेंस गाड़ियां भेजी गई थीं।

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गत दिवस गोविंद सागर झील में डूबने से हुई सात पंजाबी युवकों की मौत से 2 अगस्त को भी माहौल गमगीन बना रहा। प्रत्यक्षदर्शियों के सामने बार-बार वही सात नौजवानों के शवों का दृश्य घूम रहा था। वहीं 2 अगस्त को मृतक युवकों के परिजन भी रोते-बिलखते हुए ऊना पहुंचे। जहां क्षेत्रीय अस्पताल ऊना में शवों का पोस्टमार्टम करके परिजनों के सुपुर्द कर दिए गए। 2 अगस्त की सुबह जब मृतकों के परिजन शवों को लेने पहुंचे तो अस्पताल में चीखो-पुकार मच गया। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था। परिजनों ने ऐसा कभी नही सोचा होगा कि जिन बच्चों को उन्होंने खुशी-खुशी बाबा के दरबार माथा टेकने के लिए भेजा था वे कफन में वापिस घर लौटेंगे।

सभी शवों को पंजाब के मोहाली जिला के बनूड़ ले जाने के लिए पंजाब प्रशासन की तरफ से सात एंबुलेंस गाड़ियां भेजी गई थीं। वहीं दूसरी तरफ इस सनसनीखेज घटना के बाद जिला प्रशासन द्वारा किसी भी व्यक्ति के गोविंद सागर झील में उतरने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है।

प्रदान की गई राहत राशि
डीसी राघव शर्मा ने इस संबंध में आदेश पारित कर दिए हैं। वहीं पोस्टमार्टम के दौरान ही सभी मृतक युवकों के परिजनों को जिला प्रशासन की तरफ से तहसीलदार बंगाणा ने फौरी राहत राशि प्रदान की। मृतकों के परिजनों के साथ-साथ कस्बा बनूड़ के वार्ड 11 के पार्षद भजन लाल नंदा भी तमाम लोगों के साथ शवों को ले जाने के लिए पहुंचे थे।

अन्य छह भी गंवा बैठे जान
गोविंद सागर झील में हुई घटना के दौरान जान गंवाने वाले सभी युवा बनूड़ के वार्ड 11 के रहने वाले थे। पार्षद भजन लाल नंदा ने बताया कि उन्हें मिली जानकारी के मुताबिक उनके वार्ड के करीब 11 युवक पीर निगाह में माथा टेकने के बाद बाबा बालक नाथ जाने के लिए गोबिंद सागर झील के किनारे मोटर वोट से झील पार करने के प्रयास में थे। इसी दौरान कुछ युवक नाविक से बात करने के लिए गए थे। वहीं झील के किनारे खड़े युवकों में से एक युवक का पैर फिसलने से वह गोविंद सागर झील में गिरा और उसी को बचाने के चक्कर में चेन बनाकर गोविंद सागर झील में उतरे छह अन्य युवक भी अपनी जान गंवा बैठे।

बचा लिया गया सोनू
हालांकि सोनू नाम का आठवां युवक जो झील में उतरा था। उसे साथ के अन्य युवकों ने कड़ी मशक्कत से बचा लिया है। बनूड़ से ही मृतक युवकों के शव ले जाने के लिए पहुंचे उनके पड़ोसी कृष्ण कुमार ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के बाद से ही बनूड़ में माहौल बेहद गमगीन है। न केवल मृतकों के घरों में अपितु पूरे शहर में इस घटना के बाद से लोग मातम में हैं।

ऐसा था पिता का हाल
हादसे में जान गंवाने वाले युवक 18 वर्षीय विशाल कुमार के पिता राज कुमार का बुरा हाल था। अपने बेटे को देखने के लिए रोते हुए कभी इधर तो कभी उधर भटक रहे थे। जिन्हें देखकर हर किसी का दिल पसीज रहा था। भरी आंखों और रुंधे गले में राज कुमार बोल रहे थे कि वह इससे पहले अपने चार बच्चों को खो चुके हैं। अब बुढ़ापे में केवल विशाल ही उनका सहारा था, लेकिन इस दुखद घटना ने उनका अंतिम सहारा भी छीन लिया।

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