Land-for-job case: सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव और 77 अन्य के खिलाफ निर्णायक आरोपपत्र किया दाखिल, जानिये चार्जशीट में क्या है

इसके अलावा, सीबीआई ने अदालत को सूचित किया है कि उसे अभी भी सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी का इंतजार है।

5690

Land-for-job case: केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) (सीबीआई) ने कथित भूमि-के-लिए-नौकरी घोटाले (Land-for-job case) के सिलसिले में राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) (आरजेडी) प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) और अन्य आरोपित व्यक्तियों के खिलाफ निर्णायक आरोप पत्र दायर (charge sheet filed) किया है। इस आरोप पत्र में 78 आरोपी व्यक्तियों (78 accused persons) को शामिल किया गया है, जिसमें 38 उम्मीदवारों के साथ-साथ कई अन्य व्यक्ति भी शामिल हैं।

इसके अलावा, सीबीआई ने अदालत को सूचित किया है कि उसे अभी भी सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी का इंतजार है। विशेष सीबीआई न्यायाधीश विशाल गोगने ने आरोप पत्र पर विचार के लिए मामले को 6 जुलाई को सूचीबद्ध किया है। 29 मई को, सीबीआई को भूमि-के-लिए-नौकरी मामले में अपना निर्णायक आरोप पत्र/आरोप पत्र दायर करने का निर्देश दिया। अदालत ने समय दिए जाने के बावजूद निर्णायक आरोप पत्र दायर न करने पर भी अपनी नाराजगी व्यक्त की थी।

यह भी पढ़ें- Loksabha Results: लोकसभा नतीजों के बाद महाराष्ट्र में सियासी उलटफेर की आहट, जानिये क्या है खबर

17 आरोपियों के खिलाफ दूसरा आरोपपत्र
4 अक्टूबर 2023 को, अदालत ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी और अन्य को कथित भूमि के बदले नौकरी घोटाले मामले में एक नए आरोपपत्र के संबंध में जमानत दे दी थी। सीबीआई के अनुसार, भूमि के बदले नौकरी घोटाले से संबंधित मामले में तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री, उनकी पत्नी, बेटे, पश्चिम मध्य रेलवे (डब्ल्यूसीआर) के तत्कालीन जीएम, डब्ल्यूसीआर के दो सीपीओ, निजी व्यक्ति, एक निजी कंपनी आदि सहित 17 आरोपियों के खिलाफ दूसरा आरोपपत्र है।

यह भी पढ़ें- NDA Government Formation: एनडीए की बैठक में पीएम मोदी और चिराग पासवान ने साझा किए खुशगवार पल

लालू और परिवार के खिलाफ आरोप
आरोपियों में पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्य शामिल हैं, जिन पर इस घोटाले में शामिल होने का आरोप है। सीबीआई का प्राथमिक आरोप यह है कि लालू प्रसाद यादव ने 2004 से 2009 तक केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अपने परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों के नाम पर भूमि संपत्ति हस्तांतरण के माध्यम से “वित्तीय लाभ” स्वीकार किए। ये तबादले कथित तौर पर भारतीय रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में ग्रुप “डी” पदों पर “प्रतिस्थापन” नियुक्त करने के बदले में किए गए थे।

यह भी पढ़ें- NDA Government Formation: एनडीए के नेता चुने गए नरेंद्र मोदी, सरकार गठन में क्या होगा अगले कदम?

अचल संपत्तियों का हस्तांतरण
यह भी आरोप लगाया गया कि इसके बदले में प्रतिस्थापन, जो स्वयं पटना के निवासी थे या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से पटना में स्थित अपनी जमीन को मंत्री के परिवार के सदस्यों और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा नियंत्रित एक निजी कंपनी के पक्ष में बेच दिया और उपहार में दे दिया, जो उक्त परिवार के सदस्यों के नाम पर ऐसी अचल संपत्तियों के हस्तांतरण में भी शामिल थी।

यह वीडियो भी देखें-

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.