समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग का बड़ा फैसला, धार्मिक संगठनों और आम लोगों से मांगी राय

देश में समान नागरिक संहिता को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर आम जनता के विचार जानने का निर्णय लिया है।

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विधि आयोग (Law Commission) ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) पर नए सिरे से चर्चा शुरू की है, जिसके लिए जनता (Public) से फीडबैक मांगा गया है। भारत के 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के बारे में मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों (Religious Organizations) और बड़े पैमाने पर आम लोगों से विचार जानने का फैसला किया है।

करीब 8 महीने की लंबी बैठकों के बाद विधि आयोग ने यूसीसी पर एक विस्तृत दस्तावेज तैयार किया है। ऐसे में समान नागरिक संहिता को लेकर विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिसमें कोई भी अपनी राय दे सकता है। जिसके लिए 30 दिनों के अंदर सलाह मांगी गई है।

30 दिन के अंदर देनी होगी राय
सूचना के अनुसार जो रुचि रखते हैं और इच्छुक हैं, वे सदस्य सचिव[email protected] पर ईमेल द्वारा भारत के विधि आयोग को नोटिस की तारीख से 30 दिनों की अवधि के भीतर इसे भेज सकते हैं।

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अब नई प्रक्रिया शुरू करें
बताया जा रहा है कि एक-दो बैठकों में अंतिम मुहर लगने के बाद इसे मानसून सत्र से पहले कानून मंत्रालय को सौंपे जाने की तैयारी है। इससे पहले 21वें लॉ कमीशन ने भी इस विषय पर स्टडी की थी। तब आयोग ने इस पर और चर्चा की जरूरत बताई थी। हालांकि इस बात को 3 साल से ज्यादा हो गए हैं। ऐसे में अब नए सिरे से प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

समान नागरिक संहिता का क्या अर्थ है?
समान नागरिक संहिता का उद्देश्य धर्म के बावजूद सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेने, विरासत और उत्तराधिकार जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों का एक सामान्य सेट बनाना है। वर्तमान में, विभिन्न कानून विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के लिए इन पहलुओं को विनियमित करते हैं।

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