मुंबई। मुंबई समेत राज्य के अन्य महानगरपालिका की हद में रहने वाले लोगों के सामने कोरोना काल में एक नई मुसीबत आ खड़ी हुई है। पहले तो बिजली के बढे हुए बिल ने लोगों के माथे पर पसीना ला दिया और अब प्रोपर्टी टैक्स भरने के लिए मनपा द्वारा बनाए जा रहे दबाव ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। लोगों का आरोप है कि लॉक डाउन के दौरान बिजली के बिल काफी बढ़ाकर भेजे गए थे।
बिजली के बढ़े हुए बिल पर मीटिंग के बावजूद कुछ नहीं हुआ
प्रोपर्टी टैक्स भेजे जाने से पहले काफी बिजली उपभोक्ताओं ने संबंधित अधिकारियों के साथ ही राजनैतिक पार्टियों से भी बढ़े हुए बिजली बिल की शिकायत की थी। इसपर संबंधित विभाग के मंत्री ने लोगों को आश्वासन भी दिया था, कई मीटिंगे भी हुईं, लेकिन नतीजा शून्य ही रहा। कुछ लोगों द्वारा दबाव बढ़ाने और लड़ने-झगड़ने के बाद बिजली आपूर्ति करनेवाली कंपनिययों ने थोड़ा अमाउंट कम कर दिया लेकिन 95 फीसदी बिजली उपभोक्ताओं को बढ़े हुए बिजली बिल ही भरने पड़े।
जनता की 6 महीनों से खाली जेब
बिजली के बंपर बिल के झटके से अभी लोग उबरे भी नहीं थे कि महानगरपालिका ने प्रॉपर्टी टैक्स भेजकर उन्हें फिर से वेंटिलेटर पर डाल दिया है। जहां लोग इसकी माफी की उम्मीद लगाए बैठे थे, वहीं अब वे प्रोपर्टी टैक्स में बढ़ोतरी का आरोप लगा रहे हैं और इस साल के टैक्स को वे पिछले साल की तुलना में 300 से 500 रुपए ज्यादा बता रहे हैं। एक तो कोरोना महामारी के चलते ज्यादातर लोगों के पास काम -धंधे न के बराबर हैं। इस वजह से पिछले 6 माह से लोगों के पास खाने और दवा के पैसे नहीं हैं। ऐसे मे बढ़े हुए प्रॉपर्टी टैक्स भरना लोगों के लिए एक बड़ी मुसीबत बन गई है।
कर कलेक्शन रोकने के लिए जनता की दौड़
मनपा चुनाव के घोषणा पत्र मे शिवसेना ने वादा किया था कि सत्ता में आने पर वह 500 स्क़्यर तक के घरों का प्रॉपर्टी टैक्स माफ कर देगी लेकिन स्थिति ठीक इसके विपरीत है। लोगों के साथ ही कई सामाजिक संगठनों ने सरकार को उसके द्वारा किए गए वादों की भी याद दिलाया है लेकिन नेताओं पर कोई फर्क पड़ता नहीं नजर आ रहा है।
संपत्ति कर वसूली में जुटी मनपा
मनपा और अन्य नगरपालिका का लोगों पर प्रॉपर्टी टैक्स जल्द से जल्द भरने का दबाव बढ़ता जा रहा है। इसके लिए उसने टैक्स में 10 छूट का ऑफर दिया है, लेकिन लोगों की जेब में पैसे न होने के कारण वे प्रॉपर्टी टैक्स अदा करने मे असमर्थ दिखाई दे रहे हैं। प्रॉपर्टी टैक्स का विरोध कर रहे कांग्रेस नेता मुजफ्फर हुसैन का कहना है कि यह जनता के साथ विश्वासघात है। जहां लोगों के पास खाने के लिए पैसे नहीं हैं,वहीं बिजली बिल के बाद प्रोपर्टी टैक्स बढ़ाकर भेजना और उसकी वसूली के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाना जनता के साथ अन्याय है।
तिजोरी में पैसे न होने की दलील
मुंबई,ठाणे और मीरा-भायंदर महानगरपालिका सहित राज्य की दर्जनों महानगरपालिका की ओर से कोरोना काल में राजस्व वसूली न होने की दलील दी जा रही है। कहा जा रहा है पिछले 6 महीने से सभी तरह की टैक्स वसूली करीब-करीब बंद रहने के कारण राज्य सरकार के साथ ही महानगरपालिका की तिजोरी भी खाली पड़ी है। उनके पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं हैं। ऐसे में अगर प्रॉपर्टी टैक्स नहीं वसूला जायेगा तो पूरा सिस्टम चरमरा जाने का खतरा है।
जनप्रतिनिधियों ने दी सफाई
मीरा -भायंदर के भाजपा नगरसेवक मनोज दुबे का इस बारे में कहना है कि उनकी पार्टी की तरफ से प्रॉपर्टी टैक्स माफ करने की मांग की गई थी, लेकिन राज्य सरकार से अभी तक इस बारे में मनपा को हरी झंडी नहीं मिली है, जबकि मीरा- भायंदर मनपा मे विरोधी पक्ष नेता राजू भोईर का कहना है कि पिछ्ले 6 माह से न मीरा -भायंदर मनपा की तिजोरी में टैक्स का कोई पैसा आया है और ना ही राज्य सरकार की तिजोरी में। उनका आरोप है कि ऐसी विकट स्थिति में केंद्र सरकार ने भी कोई मदद नहीं की है। ऐसे मे यदि प्रॉपर्टी टैक्स नहीं वसूला गया तो महानगरपालिका के कर्मचारियों का वेतन देना मुश्किल हो जायेगा ।