महेश सिंह
Madrasa: मदरसे के मौलवियों और बच्चों को देखकर मन में यह सवाल उठता है कि आखिर ये मौलवी मदरसे में इन बच्चों को पढ़ाते क्या हैं? और वो जो पढ़ाते हैं उसे पढ़कर ये बच्चे बनेंगे क्या? उनके पहनावे और रहन-सहन का ढंग काफी रहस्यमय होता है। सवाल यह भी उठता है कि क्या इस तरह के पहनावे और व्यक्तित्व जीवन में जरुरी हैं। इन सवालों के जवाब तलाशना आसान नहीं है। मदरसे की तुलना किसी अन्य तरह के स्कूल से नहीं की जा सकती। सामान्य स्कूलों में सबको पता होता है कि शिक्षक क्या पढ़ाते हैं और बच्चे क्या पढ़ते हैं। इनमें कोई रहस्य जैसी बात नहीं होती। लेकिन मदरसे का सब कुछ बड़ा रहस्यमय लगता-दिखता है।
सिर्फ गरीब और अनाथ बच्चे करते हैं पढ़ाई
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि इन मदरसों में सिर्फ गरीब और अनाथ मुस्लिम बच्चे ही पढ़ते हैं। किसी अमीर या अभिनेता-नेता का बच्चा इन मदरसों में नहीं पढ़ता। यह बड़ा सवाल है। इसका कारण यह है कि अमीर मुसलमानों और नेताओं को पता है कि मदरसों में ऐसा कुछ भी नहीं पढ़ाया जाता, जिससे बच्चों का करियर बन सके। वे यहां की शैक्षणिक योग्यता प्राप्त कर अपना करियर नहीं बना सकते। वे यहां पढ़कर इंजीनियर, डॉ़क्टर, आईएएस, आईपीएस या अन्य तरह के अधिकारी कर्मचारी नहीं बन सकते।
मदरसे में पढ़ाया क्या जाता है?
हमने गूगल पर मदरसे को लेकर सर्च किया, जिसका हमें जवाब मिला,”मदरसों में पढ़ाई का तरीका और पाठ्यक्रम अलग-अलग होते हैं, जो उनके संबद्ध बोर्ड, प्रबंधन और शिक्षण पद्धति पर निर्भर करते हैं। धार्मिक शिक्षा में कुरान, हदीस, तफसीर, फिकह और इस्लामिक इतिहास जैसे धार्मिक विषयों की शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा अरबी भाषा बोलने, लिखने और समझने का प्रशिक्षण दिया जाता है।” कोई भी सोच सकता है कि एक सामान्य नागरिक के करियर में इस तरह की शिक्षा का क्या महत्व है।
मदरसे में मिली नकली नोट छापने की मशीन
5 सितंबर 2024 को छापेमारी के दौरान मदरसे से नकली नोट छापने की मशीन के साथ ही कुछ आपत्तिजनक किताबें भी मिली थीं। इन किताबों में आरएसएस के खिलाफ बातें लिखी हैं। इस किताब में आरएसएस को देश का नंबर वन आतंकी संगठन बताया गया था। यह किताब महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एसएम मुशर्रफ द्वारा लिखी गई थीं। उन्होंने मुंबई 26/11 को लेकर भी कई आपत्तिजनक किताबें लिखी थीं। किताबों में मालेगांव और समझौता एक्सप्रेस जैसी तमाम आतंकी घटनाओं के बारे में बताया गया है।
आतंकियों के ट्रेनिंग हब?
अगस्त 2022 में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि मदरसों को आतंकियों के ट्रेनिंग हब के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि इन मदरसों में शिक्षा की बजाय आतंक की ट्रेनिंग दी जा रही है। सरमा ने कहा कि असम में अब तक ऐसे दो मदरसों को गिराया जा चुका है। इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया था। सीएम सरमा ने कहा था कि जांच में पता चला है कि मदरसे में अल कायदा का ट्रेनिंग कैंप चल रहा था। यहां पढ़ाई-लिखाई नहीं होती थी।
बच्चों का किया जाता है ब्रेन वॉश
ये कुछ उदाहरण हैं, जो ये साबित करते हैं कि मदरसों की आड़ में क्या कुछ चलाया जाता है। सच तो यह है कि इन मदरसों में धर्म के नाम पर बच्चों का ब्रेन वॉश कर उनमें नफरत का जहर भरा जाता है। वहां की पढ़ाई का गरीब और अनाथ बच्चों के करियर में कोई महत्व नहीं है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि इन मदरसों में पढ़कर बच्चे मुला और मौलवी बनते हैं। उन्होंने कहा था कि सरकार का काम मुल्ला-मौलवी बनाना नहीं है।
असम में मदरसे बंद
असम के सीएम ने सितंबर 2023 में कहा था, “हमने असम में मदरसे बंद कर दिए, हमने कहा कि लड़कियों को इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई करनी चाहि। असम में कुल 1500 मेडिकल सीटें हैं और 285 सीटों पर मुस्लिम बच्चे पढ़ रहे हैं इसलिए हम सशक्तिकरण की बात करते हैं। अगर ये छात्र मदरसों में पढ़ते तो ये 285 छात्र कभी डॉक्टर नहीं बन पाते, इसलिए हमें तुष्टिकरण नहीं करना चाहिए, हमें लोगों को सही दिशा दिखानी चाहिए, यही एक राजनेता का कर्तव्य है।”
धर्मांतरण का गंदा खेल
ध्यान देने वाली बात यह भी इन मदरसों में धर्मातंरण के गंदे खेल चलने के साथ ही टेरर फंडिंग किए जाने जैसे गंभीर आरोप भी लगते रहते हैं। कई मदरसों में तो गरीब हिंदू बच्चे भी पढ़ाए जाते हैं। जिनका ब्रेन वॉश कर धर्मांतरण कराने का षड्यंत्र किया जा रहा है। दुनिया में ऐसा कोई भी अपराध नहीं है, जो इन मदरसों में चलने की खबरें न मिली हों। हत्या, बच्चों के यौन शोषण से लेकर आतंक की ट्रेनिंग देने और बच्चों में नफरत का जहर भरने के पाठ पढ़ाये जाने के कई सबूत अब तक मिल चुके हैं।
80 हजार बच्चे करते हैं पढ़ाई
ध्यान देने वाली बात है प्राप्त आकड़ों के अनुसार इन मदरसों में 80 हजार बच्चे पढ़ते हैं। देश में वर्तमान में लगभग 38,000 मदरसे हैं, जिनमें से लगभग 28,107 मान्यता प्राप्त हैं और लगभग 10,039 गैर-मान्यता प्राप्त हैं। देश के लिए जितना खतरनाक वक्फ बोर्ड है, मदरसे भी उससे कम खतरनाक नहीं हैं। ये दोनों ही मुस्लिम कट्टरपंथियों की ताकत हैं। इनकी बदौलत वे देश में मनमानी करने और नफरत का बीज बोकर दंगे-फसाद से लेकर आतंक फैलाने तक का षड्यंत्र करते हैं।