-कोमल यादव
Maha Kumbh 2025: संगमनगरी (Sangam city) प्रयागराज (Prayagraj) में दुनिया के सबसे बड़े महाकुंभ (Maha Kumbh) पर्व का आयोजन किया जा रहा है। यह पहली बार है, जब AI आस्था और व्यवस्था के बीच एक अद्भुत संगम बनता नज़र आ रहा है। महाकुंभ ऐप (Maha Kumbh app) सहायक चैटबॉट के बारे में अपने पढ़ा ही होगा पर इसके अलावा आखिर कैसा है, यह डिजिटल कुंभ का पूरा सेटअप, चलिए जानते हैं –
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AI कैमरे के जरिए क्राउड मैनेजमेंट:
क्राउड मैनेजमेंट के लिए भी 328 AI कैमरे लगाए गए हैं। इनके जरिए मेला क्षेत्र में आने वाली भीड़ को नियंत्रित किया जा सकेगा। ये AI कैमरे लगातार हेड काउंट कर कंट्रोल रूम को अलर्ट करते रहेंगे।
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कैसे करता है काम ?
इन कैमरों में प्रति मीटर हेड काउंट करने की कैपेसिटी है। जैसे ही किसी एरिया में कैपेसिटी से ज्यादा भीड़ बढ़ेगी, कैमरे के अलर्ट के बाद उस एरिया में जाने वाला मूवमेंट रोक कर भीड़ को डायवर्ट कर दिया जाएगा। इस तरह के कैमरे पार्किंग स्पेस, नहान घाट, मेला प्रशासन और संगम तक पहुंचने वाले रास्तों पर लगाए गए हैं।
सबसे बड़ा सवाल
सबसे बड़ा सवाल है कि महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की गिनती कैसे की जा रही है ? श्रद्धालुओं पर नजर बनाए रखने के लिए मेला क्षेत्र में 200 जगह ऐसी हैं, जहां पर 744 अस्थायी सीसीटीवी लगाए गए हैं। यही नहीं, शहर के अंदर भी 268 जगह पर अस्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। ICCC (एकीकृत कमान एवं नियंत्रण केंद्र) पुलिस लाइन नियंत्रण कक्ष के अलावा झूसी और अरैल क्षेत्र में ऑब्जर्वेशन सेंटर बनाए गए है। जहां श्रद्धालुओं की निगरानी की जा रही है।
फेस रिकग्निशन कैमरों का उपयोग
12 से 16 जनवरी (दोपहर 12 बजे) तक रिकॉर्ड 07 करोड़ से अधिक पूज्य संत, श्रद्धालु और कल्पवासी पवित्र संगम में स्नान कर चुके हैं। पहली बार स्टेशनों पर सीसीटीवी और FR (फेस रिकग्निशन) कैमरे लहगाये गए है। महाकुंभ के दौरान रेलवे स्टेशनों की सुरक्षा के लिए करीब 650 सीसीटीवी के साथ पहली बार 100 एफआर कैमरे भी लगाए गए है। प्रयागराज शहर में आने वाले सभी 9 रेलवे स्टेशनों के आने-जाने के मार्गों, आश्रय स्थल, प्लेटफॉर्म को भी कैमरों की नजर में रखा गया है।
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AI कैमरे से पार्किंग मैनेजमेंट
पहली बार है, जब ट्रैफिक मैनेजमेंट करने के लिए मेला क्षेत्र में बने सभी पार्किंग स्थल पर AI कैमरे लगाए गए हैं। इससे जब एक पार्किंग में गाड़ियों की संख्या पूरी हो जाती है तो अपने आप ही उसका इंडिकेशन कंट्रोल रूम में पहुंच जाता है। उसके बाद अन्य गाड़ियों को दूसरे पार्किंग में भेज दिया जाता है।
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एंटी ड्रोन कवरेज में मेला
महाकुंभ में एंटी ड्रोन तैनात किया गया है। बिना इजाजत मेले में कोई ड्रोन नहीं उड़ेंगे। दुश्मनों पर पैनी नज़र बनाते हुए उत्तर प्रदेश के योगी सरकार ने कड़े इंतजाम किये हैं।
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डिजिटल खोया -पाया केंद्र
महाकुम्भ मेले में कोई अपना बिछड़ गया है तो अब ज्यादा फिक्र की बात नहीं। आप बस खोए हुए व्यक्ति की तस्वीर लेकर किसी भी एक कंप्यूटरीकृत खोया-पाया केंद्र पहुंच जाइए। AI वाले कैमरे लगाए गए हैं। खोए हुए व्यक्ति के रजिस्ट्रेशन के बाद AI संचालित कैमरे उस व्यक्ति की खोज तुरंत शुरू कर देंगे। फेस रिकग्निशन तकनीक से खोए व्यक्तियों को खोजना आसान हो गया है। पूरे मेला क्षेत्र में 10 डिजिटल खोया-पाया केंद्र स्थापित किए गए हैं।
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बीमारों पर ध्यान
मेला क्षेत्र में आपके स्वास्थ्य की देखभाल और गंभीर बीमारी की स्थिति में त्वरित राहत पहुंचाने के लिए अस्पतालों का जाल फैलाया गया है। जरूरत पड़ने पर मरीज को एयर एंबुलेंस की सुविधा भी मुफ्त में दी जाएगी।
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रोबोट से आग बुझाएगा फायर ब्रिगेड
फायर ब्रिगेड डिपार्टमेंट भी इस बार मेले को सुरक्षित बनाने के लिए हाईटेक उपायों पर काम कर रहा है। डिपार्टमेंट ने महाकुंभ को जीरो फायर इंसिडेंट बनाने के लिए 4 एटीवी और फायर रोबोट का इस्तेमाल शुरू किया है।
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पहला AI बेस्ड ICU
स्नान घाटों के पास एफएपी फर्स्ट एड पोस्ट, सेक्टर अस्पताल, गंगा पार और यमुना पार में 25-25 बेड के दो उप केंद्रीय तथा परेड में 100 बेड वाले केंद्रीय अस्पताल में तो स्वास्थ्य सेवाएं शुरू की जा चुकी हैं। केंद्रीय अस्पताल में पहली बार AI युक्त 10 बेड का आईसीयू बनाया गया है।
हाई-टेक पर्यावरण संरक्षण
हर दिन पैदा होने वाले कचरे के प्रबंधन की चुनौती बहुत बड़ी है। हालांकि, अधिकारी इससे घबराए नहीं हैं। उन्होंने इस मुश्किल काम से निपटने के लिए भारत के दो प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) की मदद ली है। इनमें से एक है हाइब्रिड ग्रैन्युलर सीक्वेंसिंग बैच रिएक्टर (hgSBR), जिसे ISRO-BARC सहयोग से विकसित किया गया है। आसान भाषा में समझे तो ये हाई-टेक वॉशिंग मशीन है, लेकिन कपड़े साफ करने के बजाय, यह सीवेज को साफ करती है। इस तकनीक का उपयोग तीन प्रीफैब्रिकेटेड फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (FSTP) में किया जा रहा है, जो मानव अपशिष्ट को कुशलतापूर्वक संसाधित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि पर्यावरण स्वच्छ और सुरक्षित बना रहे।
जियोट्यूब तकनीक का उपयोग
एक और अभिनव तकनीक है, जियोट्यूब तकनीक। इसे एक विशाल चाय की थैली के रूप में सोचें जो बड़ी मात्रा में तरल अपशिष्ट को रखती है और उसका उपचार करती है। यह तकनीक अपशिष्ट को रोकने और उपचार करने में मदद करती है, यह सुनिश्चित करती है कि पर्यावरण में केवल स्वच्छ पानी ही वापस छोड़ा जाए।
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बायोरेमेडिएशन का इस्तेमाल
बायोरेमेडिएशन महाकुंभ में इस्तेमाल किया जा रहा एक और आकर्षक तरीका है। बड़े तालाबों की एक श्रृंखला की कल्पना करें, जिनमें से प्रत्येक में प्रदूषकों को तोड़ने और पानी को साफ करने वाले लाभकारी सूक्ष्मजीव हैं। यह प्राकृतिक और पर्यावरण के अनुकूल तरीका लगभग 75 बड़े तालाबों में एकत्र ग्रेवाटर पर लागू किया गया है। यह सुनिश्चित करते हुए कि पानी का प्रभावी और सुरक्षित तरीके से उपचार किया जाता है।
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