Maharashtra Bandh: महाराष्ट्र में दो बजे तक बंद और पाकिस्तान में चार घंटे की भूख हड़ताल! क्या कहेंगे आप

शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने 24 अगस्त को दोपहर 2 बजे तक “महाराष्ट्र बंद” का सख्ती से पालन करने का आह्वान किया है।

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  • अंकित तिवारी

Maharashtra Bandh: महाराष्ट्र (Maharashtra) के बदलापुर (Badlapur) में स्कूल में पढ़ने वाली दो बच्चियों के साथ यौन शोषण (sexual abuse of two school girls) की दिल को झकझोर देने वाली घटना घटी। इस घटना का असर पूरे देश में देखने को मिल रहा है। इस मामले में मुख्य आरोपी (main accused) अक्षय शिंदे (Akshay Shinde) को पुलिस ने गिरफ्तार (arrested by police) कर लिया था।

आरोपी अक्षय शिंदे को 24 अगस्त तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। इस बीच महाविकास अघाड़ी ने 24 अगस्त को महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया है। हालांकि 23 अगस्त को बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस बंद को अवैध करार दे दिया है।

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कई सेवाओं पर असर
बदलापुर कांड और महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ यौनाचार और हिंसा की घटनाओं के विरोध में बंद का ऐलान किया गया  है। शिवसेना (उबाठा) गुट, एनसीपी शरद पवार गुट और कांग्रेस ने लोगों से इस बंद में शामिल होने की अपील की है। इस बंद से प्रदेश का जनजीवन अस्त-व्यस्त होने की आशंका है। इसका असर कई सेवाओं पर पड़ सकता है। इस बंद का असर यात्रियों पर पड़ सकता है।

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दोपहर 2 बजे तक “महाराष्ट्र बंद”
शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने 24 अगस्त को दोपहर 2 बजे तक “महाराष्ट्र बंद” का सख्ती से पालन करने का आह्वान किया है। केवल आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर सभी सेवाओं को बंद रखने की अपील की गई है। हालांकि भारत में हड़ताल के अधिकार को कानून द्वारा स्पष्ट व्याख्या नहीं की गई है। आम तौर पर जब भी बंद बुलाया जाता है वो पूरे दिन के लिए होता है, जिसमें पार्टियां और नेता अपना शक्तिप्रदर्शन करते हैं। लेकिन सिर्फ दोपहर 2 बजे तक का बंद एक नया ही फरमान है। ऐसा ही एक उदहारण पाकिस्तान से आया था। वहां 26 जुलाई को मात्र 4 घंटे के लिए भूख हड़ताल की गई थी।

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पीटीआई की ‘भूख हड़ताल’
विरोध के एक नाटकीय प्रदर्शन में, 26 जुलाई को पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पीटीआई (पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ) ने एक नई अवधारणा पेश की, चार घंटे की भूख हड़ताल। हालांकि भोजन से इस परहेज के पीछे की रचनात्मकता की सराहना की जा सकती है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह बदलाव लाने का एक गंभीर प्रयास था, या मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से एक प्रचार मात्र स्टंट था?

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भूख हड़ताल में मांग
पीटीआई के केंद्रीय कार्यालय पर छापेमारी और रऊफ हसन की गिरफ्तारी के बाद बुलाई गई हड़ताल में इमरान खान को जेल से रिहा करने की मांग की गई। पार्टी की चुनौतियों की गंभीरता को देखते हुए, क्या उसके नेता विरोध करने के लिए सबसे अच्छा कदम उठा सकते हैं? शिक्षकों से लेकर लापता व्यक्तियों के परिवारों और बलोच कार्यकर्ताओं तक, न्याय के लिए भूख हड़ताल एक अहम कदम है, जब अन्य सभी रास्ते बंद हो जाते हैं। इन हमलों को सम्मान और सहानुभूति मिली क्योंकि वे वास्तविक थे और न्याय की इच्छा में निहित थे।

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एमवीए की 2 बजे तक बंद
महाराष्ट्र में 24 अगस्त को एमवीए की 2 बजे तक के बंद की तुलना पीटीआई के चार घंटे के ‘अनशन’ से की जा सकती है। ऐसे विरोध को गंभीरता से लेना मुश्किल है। क्या इसके सदस्य अपनी घड़ियां देख रहे थे, मिनटों की गिनती कर रहे थे ताकि वे नाश्ते के सही समय पर अपना उपवास तोड़ सकें। यही धारणा भूख हड़ताल की गंभीरता को वास्तविक परिवर्तन के लिए उकसाने के बजाय सोशल मीडिया लाइक्स के लिए बनाई गई नौटंकी में बदल देती है। इसकी आलोचना व्यापक तौर पर हो रही है और यह सही भी है। यदि पीटीआई वास्तव में अन्याय के खिलाफ विरोध करना चाहता है, तो उसे ऐसे तरीके खोजने होंगे, जो ध्यान आकर्षित करें और गंभीरता व्यक्त करे। इसी तरह अगर महाविकास आघाड़ी को वास्तव में बच्चियों और महिलाओं की सुरक्षा का विरोध करना होगा तो उसे सही रास्ते तलाशने होंगे। इसे चुनाव में भुनाने भर का हथियार बनाने की राजनीति कर वह लोगों को भ्रमित नहीं कर सकती। अन्याय के विरुद्ध सच्चे विरोध के लिए त्याग और ईमानदारी की आवश्यकता होती है, आधे-अधूरे मन से किए गए प्रदर्शन की नहीं।

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