महाराष्ट्र के गड- किलों में क्षेत्र में मुसलमान बिना किसी झिझक के कब्रों, दरगाहों और मस्जिदों का निर्माण कर उस पर कब्जा जमा रहे हैं। ठाणे जिला स्थित श्रीमलंग गड इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी, वोटों की राजनीति और स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता के कारण, जिस श्रीमलंग गड को कभी नवनाथ का समाधिस्थल कहा जाता था, अब उसे ‘हाजी अब्दुर्रहमान मलंग शाह बाबा’ के नाम से जाना जाता है। अब इसका विरोध शुरू हो गया है। इस कारण इसे श्रीमलंग गड के पास स्थित पहाड़ेश्वर पर्वत में जोड़ दिया गया है।
पहाड़ेश्वर पर्वत पर अतिक्रमण
इस पहाड़ी पर अवैध रूप से कई मकबरे बनाए गए हैं। पहले इस जगह पर प्राचीन शिवलिंग और नंदी हुआ करता था। लेकिन मुसलमानों ने उसे हटाकर यहां मकबरा बना दिया है। जब हिंदुओं को यह पता चला कि मुसलमान इस पहाड़ पर अतिक्रमण कर रहे हैं तो पैसे खर्च करके इस पहाड़ के नीचे शिव मंदिर का जीर्णोद्धार किया और वहां शिवलिंग तथा नंदी को फिर से स्थापित किया।
पहचान मिटाने की कोशिश
जिस तरह मुसलमानों ने मलंग गड को ‘हाजी अब्दुर्रहमान मलंग शाहबाबा’ नाम दिया है, उसी तरह उन्होंने इस पूरे पहाड़ की पहचान मिटाने की कोशिश शुरू कर दी है। इसी कारण इस पर्वत का पहले का नाम नाम ‘दादी मां पर्वत’ और कार्तिक-गणेश पर्वत को मिटाकर ‘ पीर पर्वत’ रख दिया है। इस पर्वत पर 2 हरे झंड लगे हैं। पक्का निर्माण हो गया है। पहाड़ के सभी मकबरे हरी चादरों से ढके हुए हैं। हिंदू संत रामबाबा की पहाड़ेश्वर पहाड़ी पर समाधि है। लेकिन हिंदू संत की समाधि होते हुए भी उसे हरे रंग की चादर से ढक दिया गया है। कट्टरपंथियों ने पहाड़ पर भारी ‘जनरेटर’ लगाया है। इस जनरेटर का उपयोग लाउडस्पीकर के साथ ही पहाड़ पर रोशनी के लिए किया जाता है।
विश्व हिंदू परिषद का वन विभाग पर गंभीर आरोप
विश्व हिंदू परिषद- अंबरनाथ जिला, हिंदू परिषद के नेता राजेश गायकर का कहना है कि पहाड़ेश्वर पर्वत श्रृंखला श्रीमलंग क्षेत्र पर समाधि भी हैं। इस पर्वत पर एक मंदिर है। उस जगह पर मुसलमानों ने कब्जा कर लिया है। पहले वहां जाने वालों की संख्या कम हुआ करती थी, लेकिन अब मुसलमानों की संख्या बढ़ती जा रही है। यह जगह वन विभाग के स्वामित्व में है, लेकिन वन विभाग इसकी अनदेखी कर रहा है। यहां तक कि पुलिस भी ध्यान नहीं देती। सरकार बदलने से अतिक्रमण बढ़ गया है। पूर्व में देवी का सागौन की लकड़ी का एक मंदिर था, जिसे जला दिया गया। हमने वहां स्थित शिवलिंग और नंदी का जीर्णोद्धार किया है।
पहाड़ेश्वर पर्वत को वक्फ के हवाले करने की साजिश
सरकार पहले से ही श्रीमलंग गड पर अतिक्रमण को नजरअंदाज करती रही है, मुसलमान अब यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि यह वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। स्थानीय हिंदू समर्थक कार्यकर्ताओं ने अब इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू कर दी है। आशंका जताई जा रही है कि मुसलमान भी पहाड़ेश्वर पर्वत पर अपना दावा करने की कोशिश करेंगे।
वन विभाग की अक्षम्य लापरवाही
यह क्षेत्र वन विभाग के स्वामित्व में है। लेकिन इस पहाड़ पर मुसलमानों का कब्जा बढ़ता जा रहा है। उसकी लापरवाही के कारण मुख्य पहाड़ी के नीचे 2 कब्रों का निर्माण किया गया है और कुल कब्रों की संख्या 11 हो गई है। भविष्य में और भी ज्यादा कब्र बनाए जाने की आशंका बरकरार है।