Maharashtra State Hindi Sahitya Academy: वीर सावरकर की पत्रकारिता से सीखने की जरुरतः स्वप्निल सावरकर

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Maharashtra State Hindi Sahitya Academy: महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी (Maharashtra State Hindi Sahitya Academy) और के.सी. कॉलेज (K.C. College) के हिंदी विभाग (Hindi Department) ने मुंबई (Mumbai) के ओल्ड कस्टम हाउस (Old Custom House), डी.डी. इमारत में पत्रकारिता (Journalism) के सांस्कृतिक संदर्भ (Cultural Context) में एक व्याख्यान श्रृंखला (Lecture Series) का आयोजन किया। शनिवार (10 फरवरी) को सुबह 9 से शाम 5 बजे तक तीन सत्रों में विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई। इस चर्चा के दूसरे सत्र के मुख्य अतिथि हिंदुस्थान पोस्ट के संपादक और स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के सहकार्यवाहक स्वप्निन सावरकर भी उपस्थित थे।

संगोष्ठी का उद्घाटन सत्र सुबह 10 बजे हुई। इस मौके पर पूर्व राज्य मंत्री अमरजीत मिश्र मुख्य अतिथि थे। सुबह 11 बजे से आयोजित प्रथम सत्र की अध्यक्षता के.जे. सोमैया विश्वविद्यालय के पूर्व प्राचार्य सतीश पांडेय ने की। नवभारत टाइम्स के वरिष्ठ पत्रकार सचिन्द्र त्रिपाठी मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार जीतेंद्र दीक्षित, वरिष्ठ पत्रकार राकेश त्रिवेदी, वरिष्ठ पत्रकार प्रसाद काठे, वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार सिंह, यूनुस खान आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये।

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दूसरे सत्र में स्वप्निल सावरकर थे मुख्य अतिथि
दोपहर 2 बजे दूसरे सत्र (सेमिनार) की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार विमल मिश्र ने की, जबकि मुख्य अतिथि हिंदुस्थान पोस्ट डिजिटल मीडिया के संपादक और स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के सहकार्यवाहक स्वप्निल सावरकर थे। इस अवसर पर अपने भाषण में उन्होंने पत्रकारिता के संदर्भ को बदलने की जरूरत पर जोर दिया और वामपंथी इतिहासकारों द्वारा भारतीय इतहास में किए गए दुष्प्रचार के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया की कैसे वामपंथियों ने नारद मुनि की छवि को नकारात्मक रंग दिया। खोजी पत्रिकारिता पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे वामपंथियों ने सिर्फ विदेशी पत्रकारों को पाठ्यक्रम में स्थान दिया और भारतीय पत्रकारों को पूरी तरह नजरअंदाज किया। इसके लिए उन्होंने स्वातंत्र्यवीर सावरकर की पत्रकारिता का उदहारण दिया। जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे महान स्वतंत्रता सेनानी मदन लाल ढींगरा के केस में साजिश के तहत उनकी दया याचिका को ब्रिटिश पुलिस द्वारा रिकॉर्ड को हटा दिया गया था। उस दया याचिका को कैसे वीर सावरकर ने प्रकाशित करवाकर पुलिस की पोल खोल की थी। इस सत्र में एमएमपी शाह कॉलेज की पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष उषा मिश्रा, बिड़ला कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर श्यामसुंदर पांडे और वरिष्ठ फिल्म पत्रकार पराग चापेकर ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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इनकी भी रही उपस्थिति
शाम 4 बजे आयोजित संगोष्ठी सत्र में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी अध्यक्ष शीतला दुबे, के.जे. सोमैया विश्वविद्यालय के पूर्व प्राचार्य सतीश पांडे, के.जे. सोमैया विश्वविद्यालय के उप प्राचार्य समरजीत पाधी और अन्य उपस्थित थे।

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