महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक केंद्रीय सेवा में जाएंगे। उनके इस निर्णय के पीछे राज्य की नीतियों को कारण माना जा रहा है। भले ही खुद डीजीपी साहब ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन, राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है। इस बीच एक संशय जरूर खड़ा हुआ है कि, डीजीपी साहब नाराज तो नहीं?
किसी राज्य की पुलिस का बॉस रहते हुए कोई कैसे केंद्रीय सेवा में जाने का मन बना सकता है और जब बात महाराष्ट्र पुलिस के महानिदेशक की हो तो प्रश्न और भी गंभीर हो जाता है। यही एक प्रश्न अब डीजीपी महाराष्ट्र के केंद्रीय सेवा में जाने को लेकर उठ रहा है। सूत्रों के अनुसार डीजीपी साहब की राज्य में हुए विभागीय स्थानांतरण में सरकार ने राय नहीं ली। ये उन्हें इतने बड़े दल का मुखिया होने के नाते खल गई है। जिसके कारण अब डीजीपी सुबोध कुमार जायस्वाल ने राज्य छोड़ने का ही निर्णय ले लिया।
हमलावर हुई बीजेपी
1985 बैच के आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायस्वाल ने कई महत्वपूर्ण विभागों में अपनी सेवाएं दी हैं। वे 9 वर्षों तक रिसर्च एंड अनालिसिस विंग (रॉ) में कार्यरत रहे। अब्दुल करीम तेलगी के फर्जी स्टैंप पेपर मामले की जांच की जिम्मेदारी भी उन्हीं को सौंपी गई थी। इसके अलावा 2006 बम धमाकों की जांच टीम में वे शामिल थे। ऐसे अधिकारी द्वारा पुलिस महानिदेशक का पद छोड़कर केंद्रीय सेवा में जाने का निर्णय लेना बीजेपी धक्कादायक मान रही है। प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने इसमें राज्य सरकार की नाकामी को कारण बताया है।
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