केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने आज तीन महत्वपूर्ण पहलों- येस्टेक (प्रौद्योगिकी पर आधारित उपज अनुमान प्रणाली), विंड्स (मौसम सूचना डेटा सूचना प्रणाली) और एआईडीई (मध्यस्थ नामांकन के लिए ऐप) को किसानों को समर्पित किया।
कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि के समक्ष कितनी भी अनुकूलता हो, इसके बाद भी कृषक को प्रकृति पर निर्भर करना पड़ता है और प्रकृति नाराज हो जाएं तो किसान अपने श्रम से इसकी भरपाई नहीं कर पाता है इसलिए यह जरूरी समझा गया कि प्राकृतिक प्रकोप से होने वाले नुकसान की भरपाई की व्यवस्था होनी चाहिए, इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू करते व इसे किसान हितैषी बनाते हुए इसके जरिये किसानों के नुकसान की भरपाई की जा रही है।
भारत सरकार कृषि विकास के लिए प्रतिबद्ध है इसलिए बजट में कमी नहीं आती है। लेकिन कभी राज्य सरकारों के हिस्से का प्रीमियम जमा नहीं होता है तो ऐसे में किसानों को दिक्कत नहीं होने देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा समय पर जमा कराई जाने वाली अपनी प्रीमियम के पेटे ही किसानों को मुआवजा देने का केंद्र ने फैसला लिया है, फिर भले ही तब तक राज्य सरकार द्वारा प्रीमियम जमा हो या नहीं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कामकाज संभालते ही गांव-गरीब-किसान तीनों पर फोकस किया और अनेक योजनाओं के माध्यम से प्रयत्न किया गया है कि गांवों के जीवन में बदलाव आएं, गरीबों का जीवन बदलें और किसान समृद्ध हों।
कृषि मंत्रालय ने बहुतेरे काम करते हुए इंश्योरेंस मॉड्यूल भी बनाएं, राज्य सरकारों को जोड़ा गया व फसल बीमा योजना को और कारगर बनाने की दृष्टि से मैनुअल, पोर्टल व ऐप आज लांच किया गया है। हम सोचते थे कि मौसम की सही सूचना क्यों नहीं आ पाती है, अगर सूचना मिल भी जाएं तो नीचे तक पहुंचाने का साधन नहीं होता था इसलिए कोशिश की गई कि तकनीक का प्रयोग करके इसकी पहुंच गांव-गांव तक बनाई जाएं। हर गांव में रेन वॉच टॉवर हो, विकासखंड स्तर पर वेदर स्टेशन आ सकें ताकि मौसम की जानकारी विभाग व सरकार को मिल सकें। जलवायु परिवर्तन के दौर में यह जरूरी भी है। इसी तरह यह भी सुनिश्चित हुआ है कि एक व्यक्ति इंश्योरेंस के लिए मोबाइल के माध्यम से गांव-गांव व घर-घर जा सकता है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्री रिजिजू ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि क्षेत्र में किए जा रहे परिवर्तन बहुत महत्वपूर्ण है। जलवायु परिवर्तन के दौर में इन सबकी महत्ता और भी ज्यादा है। भविष्य की चुनौतियों के मद्देनजर हमें साइंटिफिक मैकेनिज्म तैयार करना होगा।
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