बीरभूम नरसंहारः कलकत्ता उच्च न्यायालय ने लिया स्वतः संज्ञान, टिप्पणी में कही ये बात!

बीरभूम नरसंहार मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि यह घटना स्तब्ध करने वाली है।

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पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला अंतर्गत रामपुरहाट के बगटुई गांव में हिंसा और आगजनी में दो बच्चों सहित कई लोगों की मौत की घटना पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लिया है। उच्च न्यायालय ने इस मामले को गंभीर अपराध करार देते हुए जल्द ही सुनवाई करने का आदेश दिया है।

बीरभूम जिले के बगटुई गांव में बरशाल ग्राम पंचायत के उपप्रमुख भोदु शेख की 21 मार्च की शाम हत्या कर दी गई। उसके बाद भड़की हिंसा के बाद गांव में आगजनी की गई, जिसके बाद दो बच्चों और एक महिला सहित आठ लोगों के शव बरामद किये गए हैं। 23 मार्च की सुबह 10:30 बजे न्यायालय शुरू होने के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजश्री भारद्वाज की खंडपीठ ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया।

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नरसंहार की सीबीआई अथवा एनआईए से जांच कराने की मांग
इस मामले को स्वत: संज्ञान लेकर मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि यह घटना स्तब्ध करने वाली है। उन्होंने कहा, ”यह एक गंभीर अपराध है। इस घटना में बच्चों समेत आठ लोगों की मौत हो गई। कुछ घरों में आगजनी की गई।” मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “बगटुई में हुई घटना की जांच होनी चाहिए। दोषी लोगों को उचित सजा मिलनी चाहिए। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।” इसके अलावा अधिवक्ता अनिद्य कुमार दास ने एक जनहित याचिका भी लगाई है, जिसमें नरसंहार की सीबीआई अथवा एनआईए से जांच कराने की मांग की गई है। दोनों मामलों की सुनवाई एक साथ होगी। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से महाधिवक्ता सोमेंद्र नाथ मुखर्जी पक्ष रखेंगे।

कितने लोगों को किया गया गिरफ्तार?
इस घटना के सम्बन्ध में अब तक कुल 23 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें से 11 को भादु शेख की हत्या के सिलसिले में, जबकि बाकी को आगजनी मामले में गिरफ्तार किया गया है। इन सभी को रामपुरहाट अनुमंडल न्यायालय ले जाया गया। हिंसा और आगजनी की घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने दी दखल
उधर, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बीरभूम के पुलिस अधीक्षक नागेंद्रनाथ त्रिपाठी को पत्र लिखकर घटना की जांच की मांग की है। आयोग ने एक पत्र में कहा है कि घटना की जांच रिपोर्ट तीन दिन के भीतर आयोग को सौंपी जाए।

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