Mumbai में बढ़ती यातायात भीड़ और प्रदूषण के कारण सार्वजनिक जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। मुंबई महानगर क्षेत्र में पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगाने तथा केवल सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों को अनुमति देने की संभावना का अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित की गई है।
न्यायालय की चिंताएं और आदेश
-बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बढ़ते प्रदूषण और यातायात की भीड़ के संबंध में दायर स्वप्रेरित याचिका पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। अदालत ने कहा कि,
-मुंबई में वाहनों की बढ़ती संख्या और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लागू किए गए वर्तमान उपाय अपर्याप्त साबित हो रहे हैं।
-इससे जीवन की गुणवत्ता, पर्यावरण के साथ-साथ नागरिकों की कार्यक्षमता और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
समिति की स्थापना
न्यायालय के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने इस मुद्दे का अध्ययन करने के लिए एक समिति गठित की है। इस समिति के अध्यक्ष पूर्व आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार श्रीवास्तव होंगे।
समिति सदस्यगण:
राज्य परिवहन आयुक्त
संयुक्त पुलिस आयुक्त (यातायात), महाराष्ट्र राज्य
महानगर गैस के प्रबंध निदेशक
महावितरण के परियोजना निदेशक
सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के अध्यक्ष
संयुक्त परिवहन आयुक्त, प्रभाग-1, महाराष्ट्र राज्य समिति के सदस्य सचिव के रूप में कार्य करेंगे।
समिति के उद्देश्य
-मुंबई महानगर क्षेत्र में पेट्रोल-डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की संभावना पर अध्ययन।
-सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के उपाय सुझाएं।
इस निर्णय के पर्यावरणीय और आर्थिक प्रभावों का विश्लेषण।
रिपोर्ट प्रस्तुत करने की अवधि
समिति तीन महीने के भीतर अपना अध्ययन पूरा कर सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी। अगला निर्णय इस रिपोर्ट के आधार पर लिया जाएगा।
प्रदूषण के कारण और समाधान
वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन को मुंबई में प्रदूषण का मुख्य कारण माना जाता है। न्यायालय के अनुसार प्रदूषण से पर्यावरण असंतुलन बढ़ रहा है और नागरिकों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
सरकार का उद्देश्य
सरकार सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करके प्रदूषण और यातायात की भीड़ को कम करना चाहती है। ऐसा माना जा रहा है कि इससे मुंबईवासियों के जीवन स्तर में सुधार आएगा।
मुंबई जैसे महानगर में यातायात और प्रदूषण की समस्या गंभीर हो गई है। पेट्रोल-डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने और पर्यावरण अनुकूल वाहनों के उपयोग का निर्णय महत्वपूर्ण हो सकता है। हालाँकि, इस निर्णय के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचे के निर्माण और नागरिकों की मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है।
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