नशे के खिलाफ सुरक्षा एजेंसियां मुहिम छेड़े हुए हैं। मादक पदार्थ बेचनेवाले लगातार पैंतरे बदल रहे हैं और अब तो उनकी बोली भी बदल गई है। नए साल में नशे के सौदागर नए कोडवर्ड लेकर आए हैं। जिनसे चोर पुलिस के गेम में पुलिसवालों को नशे के सौदागर यानी चोर गच्चा दे सकें।
भाई, एक जादू की पुड़िया मिलेगी क्या?… एक पॉट भेज देना! मुंबई में अब इन वाक्यों का उच्चारण एक विशेष वर्ग में आसानी से सुना जा सकता है। जब इनके मूल में जाकर जांच की गई तो पता चला कि नए वर्ष के साथ नशे के सौदागरों ने भी नया कोडवर्ड अपना लिया है। तो अब आपको बता देते हैं हमारी सर्च के बाद कौन से ड्रग का क्या है नया नाम?
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इस मराठी में पढ़ें – ‘एक जादू की पुडीया मिलेगी’
चरस या हशीश दो प्रकार की होती हैं। एक है कश्मीरी चरस जो नशे में कड़क है जबकि दूसरी है देहरादूनी चरस। कश्मीरी चरस में भी दो प्रकार है। एक को काला साबुन कहा जाता है तो दूसरे को काला पत्थर कहा जाता है। इसी प्रकार देहरादूनी चरस को रबड़ी कहा जाता है।
पार्टी ड्रग्स के रूप में प्रसिद्ध एलसडी में तीन प्रकार हैं। ये सबसे महंगा नशा है। इसके तीन प्रकारों में हाइ इंटेंसिटी, नार्मल, लो इंटेंसिटी है। इसे नशेड़ियों की दुनिया में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। इसके कई नाम देवताओं और धर्म गुरुओं पर आधारित हैं। एलएसडी पेपर को स्माईली कहा जाता है। एलएसडी के डॉट को जीभ पर रखने से नशा होता है। यह नशा बीस घंटों तक रहता है।
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नार्कोटिक कंट्रोल ब्यूरो और स्थानीय पुलिस के मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो निरंतर कार्रवाई करता रहता है। इसके बावजूद महानगरों में नशे की बिक्री जारी है। अब तो नए साल का नया कोड वर्ड इस धंधे को नई संजीवनी देने आ गया है। इस नए कोडवर्ड से अब सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर ऑर्डर देना और लेना आसान हो गया है। जबकि सुरक्षा एजेंसियों के लिए ड्रग पेडलर, सप्लायर को पहचानने, नजर रखने के अलावा व्हाट्स ऐप फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम के जरिये कारोबार पर निगाह रखना कड़ी परीक्षा से कम नहीं है। लेकिन कहते हैं नां तुम डाल-डाल मैं पात-पात… यानी अपराध और अपराधी कितने भी अत्याधुनिक हो जाएं सुरक्षा एजेंसियों के आगे कहीं नहीं टिकते।
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