पश्चिम बंगाल (West Bengal) का मुर्शिदाबाद जिला (Murshidabad District) इन दिनों हिंसा (Violence) की आग में जल रहा है। वक्फ कानून (Waqf Law) के खिलाफ शुरू हुआ विरोध (Protest) अब बेकाबू हो चुका है। भड़की हिंसा ने धुलियान इलाके में डर और आतंक का ऐसा माहौल बना दिया है कि लोग अपना घर छोड़कर भागने को मजबूर हो गए हैं। खासकर हिंदू समुदाय के लोग दंगाइयों के डर से गांव छोड़कर मालदा (Malda) के राहत शिविरों में शरण ले चुके हैं।
बता दें कि घर, मंदिर और दुकानें… सब कुछ आग के हवाले कर दिया गया। जो भी सामने आया उसे तहस-नहस कर दिया गया। कई मेडिकल स्टोर और दुकानें जलकर राख हो गईं। दुकानों के शटर तोड़कर लूटपाट की गई और फिर आग लगा दी गई। भीड़ का हिंसक चेहरा देखकर लोग जान बचाने के लिए भागने लगे।
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कितने लोग मालदा पहुंचे?
विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी के अनुसार, ‘धुलियान से करीब 400 हिंदू नागरिक डर के मारे भाग गए और भागीरथी नदी पार कर मालदा जिले के बैष्णवनगर इलाके में पहुंच गए। उन्हें लालपुर हाई स्कूल में रखा गया है।’
पीड़ितों की हालत कैदियों जैसी
मिली जानकारी के अनुसार, हिंसा के डर से करीब 1000 हिंदू परिवार मालदा जिले के लालपुर हाई स्कूल में शरण लिए हुए हैं। लेकिन यहां भी हालात बेहतर नहीं हैं। सुरक्षा कारणों से पुलिस ने स्कूल बंद कर दिया है और किसी को भी बाहर जाने की इजाजत नहीं है। नतीजतन राहत शिविरों में रह रहे लोगों को भोजन और दवाइयों की कमी से जूझना पड़ रहा है। उन्हें पीने का पानी भी ठीक से नहीं मिल रहा है।
वक्फ के खिलाफ मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा
मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले के सुती, धुलियान, जंगीपुर और शमशेरगंज समेत कई इलाकों में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए, जो सांप्रदायिक हिंसा में बदल गया, जिसके कारण प्रभावित लोगों ने पलायन करना शुरू कर दिया।
मालदा प्रशासन ने किए सभी इंतजाम
मालदा प्रशासन की ओर से पीड़ितों के लिए स्कूलों में रहने, भोजन-पानी की व्यवस्था, नदी किनारे 20 युवकों की तैनाती की गई है, जो नाव से आने वालों की मदद कर रहे हैं।
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