सरकार देशभर के शहरों में आवागमन के लिए मेट्रो ट्रेन के विकास को लेकर तेजी से कार्य कर रही है। इसमें अगले पांच वर्षों में 910 किलोमीटर मेट्रो सेवा का विस्तार किया जाना है। जिसके बाद ये कुल 1600 किलोमीटर क्षेत्र तक विस्तृत हो जाएगी। मेट्रो रेल में अब नए-नए संस्करणों का समावेश हो गया है जिसके बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में बताया। तो जानते हैं प्रधानमंत्री के नियो और वॉटर मेट्रो के बारे में।
नियो मेट्रो
- ये ट्रेन रबर के टायरों पर आधारित हैं।
- परिचालन दस लाख से कम जनसंख्यावाले शहरों में
- यह विद्युत ऊर्जा से चलेगी।
- ओवर हेड केबल से मिलेगी ऊर्जा
- मेट्रो की अपेक्षा कम भार की व छोटी
- ये 17 टन के बजाय 10 टन एक्सल लोड की होगी
- लागत आम मेट्रो की अपेक्षाकृत मात्र 25 प्रतिशत
- मेट्रो लाइट की अपेक्षा भी लागत है कम
यहां चलाने की योजना
- महाराष्ट्र के नासिक में
- तेलंगाना के वारंगल में इस चलाने की योजना
वॉटर मेट्रो
- यह अत्याधुनिक, वातानुकूलित और वाइफाइ युक्त बेड़े होंगे
- 8-12 नॉटिकल माइल की गति से दौड़ेगी
- बैटरी चलित छोटे बेड़े अति रुंद जलमार्गों पर चल सकते हैं
- जेट्टी में ऑटोमेटिक डॉकिंग सिस्टम से लैस फ्लोटिंग पॉटूंन होंगे
- इसमें 23 बेड़े 100 यात्रियों की और 55 बेड़े 50 लोगों की क्षमता वाली होंगी
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कोच्ची में चलेगी वॉटर मेट्रो
- कोच्ची में ग्रेटर एकीकृत वॉटर ट्रांसपोर्ट सिस्टम लागू होगी
- यह कोच्ची मेट्रो की फीडर होगी है
- जनवरी 2021 में परिचालन हो सकता है शुरू
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…और चल पड़ी चालक रहित मेट्रो
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चालक रहित मेट्रो को हरी झंडी दिखाकर मेट्रो के परिचालन में एक नई कड़ी को जोड़ दिया। इस अवसर पर पीम के संबोधन की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं।
वर्ष 2014 में सिर्फ 5 शहरों में मेट्रो रेल थी - वर्ष 2020 में 18 शहरों में पहुंची मेट्रो रेल की सेवा
- वर्ष 2025 तक 25 से ज्यादा शहरों तक विस्तार का लक्ष्य
- मेट्रो का विस्तार, ट्रांसपोर्ट के आधुनिक तौर-तरीकों का इस्तेमाल
- कई शहरो में अलग-अलग तरह की मेट्रो रेल पर हो रहा काम
- मेट्रो नियो – जिन शहरों में सवारियां और भी कम है वहां पर मेट्रो नियो पर काम
- वॉटर मेट्रो- ये भी आउट ऑफ द बॉक्स सोच का उदाहरण है
- आरआरटीएस – दिल्ली मेरठ आरआरटीएस दूरी घटकर एक घंटे से भी कम
- मेट्रोलाइट- उन शहरों में जहां यात्री संख्या कम है, ये सामान्य मेट्रो की 40 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है
- मेट्रो सर्विसेस के विस्तार के लिए, मेक इन इंडिया महत्वपूर्ण
- लागत कम होती है, विदेशी मुद्रा बचती है, और रोजगार मिलता है
- रोलिंग स्टॉक के मानकीकरण से कोच की लागत अब 12 करोड़ से 8 करोड़