एवरेस्ट तो लंबा निकला!

चीन और नेपाल मिलकर माउंट एवरेस्ट की उंचाई नाप रहे थे। नेपाल का मानना था कि 2015 के भूकंप के बाद माउंट एवरेस्ट की उंचाई कम हुई है। जिसे फिर से नापने के लिए उसने अपने मित्र चीन से सहायता मांगी थी।

151

विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को लेकर एक नई रिपोर्ट सामने आई है। जिसे चीन और नेपाल ने जारी किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार माउंट एवरेस्ट की लंबाई में पहले की अपेक्षा बढ़ोतरी हुई है। इसकी अधिकृत घोषणा नेपाल के विदेश मंत्री ने की है। नेपाल ने एवरेस्ट की उंचाई नापने के लिए 13 लाख अमेरिकन डॉलर खर्च किये हैं।

चीन और नेपाल मिलकर माउंट एवरेस्ट की उंचाई नाप रहे थे। नेपाल का मानना था कि 2015 के भूकंप के बाद माउंट एवरेस्ट की उंचाई कम हुई है। जिसे फिर से नापने के लिए उसने अपने मित्र चीन से सहायता मांगी थी। इसके बाद चीन का 30 सदस्यीय सर्वेक्षण दल एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए रवाना हुआ। संयुक्त सर्वेक्षण दल के अनुसार माउंट एवरेस्ट की उंचाई 8848 मीटर से बढ़कर 8848.86 मीटर हो गई है। इसके पहले 1954 में भारत के सर्वे ऑफ इंडिया ने उंचाई को नापा था। जिसके अनुसार एवरेस्ट की उंचाई 8,848 मीटर थी। जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली थी।

ये भी पढ़ें – …तो भारत का हिस्सा होता पूर्वी पाकिस्तान!

ये है नापने की प्रक्रिया

एवरेस्ट की उंचाई नापने के लिए सर्वेक्षणकर्ताओं ने दो तकनीकी का उपयोग किया। इसमें पहली तकनीकी है त्रिमितीय या लेवल सर्वे जबकि दूसरी तकनीकी है ग्लोबल सैटेलाइट सिस्टम और कॉम्प्लेक्स मॉडल ऑफ सी लेवल।

इस प्रक्रिया में सर्वेक्षण दल ने दो लाख अमेरिकन डॉलर के ग्रेवीमीटर यंत्र को नेपाल में 297 स्थानों पर लगाया था। ग्रेवीमीटर गुरुत्वाकर्षण की शक्ति को नापते हैं। इसके आधार पर समुद्र तल की गहराई का अंदाजा लगता है। इसका कारण है कि सही उंचाई के लिए मात्र सैटेलाइट आंकड़ों पर अवलंबित नहीं रहा जा सकता।
मिली जानकारी के अनुसार नेपाल के सर्वेक्षणकर्ताओं को उंचाई नापने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी। इसके लिए दलों को ऑक्सीजन की कमी के कारण जान का खतरा खड़ा हो गया था।

 

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.