नेपाल के दहल को चुभ रही ये बात!

नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी के दूसरे धड़े के नेता पुष्पकमल दहल प्रचंड ने एक साक्षात्कार में नेपाल के संवैधानिक संकट को लेकर कई प्रश्न खड़े किये हैं। इसमें अपने ही घर में हारे प्रचंड अब नेपाल की स्थिति पर भारत की शांति पर आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं।

177

नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी के नेता पुष्प कमल दहल को अब भारत की चुप्पी चुभने लगी है। उन्होंने नेपाल में संवैधानिक संकट पर विश्व के शीर्ष देशों से हस्तक्षेप करने की मांग की है। इस प्रक्रिया में पड़ोसी देश भारत का इस प्रकरण में शांत रहना पुष्प कमल को दहला रहा है।

भारत और नेपाल का रोटी-बेटी का संबंध है। ये कहावतें थीं तो उसके अनुरूप रिश्ते भी निभते थे। लेकिन कम्यूनिस्ट शासनकाल में इसमें बड़ा परिवर्तन आया है। नेपाल के नए नेताओं ने नए कद्रदान तलाशे, बेटियां बदली और रोटी भी बदल गई। 2020 के नेपाल के लिए ये किवदंती नहीं थी बल्कि सच्चाई थी। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से चीन की हमजोली और वहां की राजदूत से मैत्री में उनके देश ने काफी कुछ खो दिया। इससे सत्ता पक्ष में ही फूट पड़ गई। अंततोगत्वा ओली ने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के पास संसद को भंग करने का प्रस्ताव भेज दिया।

क्या कहते हैं दहल?

नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी के दूसरे धड़े के नेता पुष्पकमल दहल प्रचंड ने एक साक्षात्कार में नेपाल के संवैधानिक संकट को लेकर कई प्रश्न खड़े किये हैं। इसमें अपने ही घर में हारे प्रचंड अब नेपाल की स्थिति पर भारत की शांति पर आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं। दहल ने विश्व में लोकतंत्र के रक्षक माने जानेवाले अमेरिका, यूरोप को लेकर भी यह प्रश्न किया है। दहल के अनुसार संवैधानित संकट पर भारत को दखल देनी चाहिए थी। उनके प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संविधान की धज्जियां उड़ाई हैं। दहल ने विश्व में लोकतंत्र स्थापन के लिए कार्य करनेवाले देशों से नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी के विभाजन को रोकने में मदद की मांग की है।

भारत का पक्ष

नेपाल सरकार में हो रहे विवादों को लेकर भारत ने अपने आपको शांत रखा। ओली द्वारा 20 दिसंबर को सरकार बर्खास्त करके फिर से चुनाव कराने का प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजा गया था। इस मुद्दे पर भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि नेपाल की राजनीतिक घटनाएं वहां का आंतरिक मुद्दा है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.