कब तक गिराए जाएंगे ट्विन टावर? नोएडा अथॉरिटी ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया

सर्वोच्च न्यायालय ने 31 अगस्त 2021 को नोएडा स्थित दो अवैध टावरों को गिराने का आदेश दिया था। न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का आदेश बरकरार रखते हुए ये आदेश दिया था।

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अवैध ठहराए जा चुके सुपरटेक एमरल्ड कोर्ट के 40 मंजिला टावरों को गिराने के मामले पर नोएडा अथॉरिटी ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि दोनों टावर 22 मई तक गिरा दिए जाएंगे और 22 अगस्त तक मलबा हट जाएगा। न्यायालय ने सभी पक्षों को इस टाइमलाइन का पालन करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 17 मई को होगी।

सर्वोच्च न्यायालय ने दिए थे ये आदेश
न्यायालय ने 7 फरवरी को नोएडा अथॉरिटी को निर्देश दिया था कि वो 2 अवैध टावरों को गिराने का काम दो हफ्ते में शुरू करे। 4 फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि फ्लैट खरीददारों के पैसे 28 फरवरी तक लौटाए जाएं। न्यायालय ने आदेश दिया था कि एमिकस क्युरी की ओर से की गई गणना के मुताबिक पैसे लौटाए जाएं तथा जिन फ्लैट खरीददार का होम लोन का बकाया है उसका भुगतान 10 अप्रैल तक सुपरटेक करे। न्यायालय ने कहा था कि जिन फ्लैट खरीददार ने सुपरटेक के साथ समझौता कर लिया है, वैसी स्थिति में समझौते की शर्तों दोनों पक्षों को माननी होगी। 17 जनवरी को न्यायालय ने ट्विन टावर को गिराने का जिम्मा मुंबई की एडिफिस इंजीनियरिंग को देने का आदेश दिया था।

फ्लैटधारकों ने दायर किया है न्यायालय की अवमानना का केस
फ्लैट खरीददारों ने सुपरटेक के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का केस दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि सुपरटेक ने न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं किया। याचिका में कहा गया है कि सुपरटेक ने फ्लैट खरीददारों को पैसे वापस देने के लिए बुलाया। जब वे पैसे लेने सुपरटेक के दफ्तर गए तो उनसे कहा गया कि उन्हें कुछ कटौती कर किश्तों में पैसे दिए जाएंगे।

31 अगस्त 2021 को न्यायालय ने दिया था टावर गिराने का आदेश
सर्वोच्च न्यायालय ने 31 अगस्त 2021 को दोनों अवैध टावरों को गिराने का आदेश दिया था। न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का आदेश बरकरार रखते हुए ये आदेश दिया था। न्यायालय ने कहा था कि तीन महीने में निर्माण हटाया जाए। न्यायालय ने कहा था कि फ्लैट खरीददारों को दो महीने में पैसा वापस दिया जाए। कोर्ट ने फ्लैट खरीददारों को 12 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ पैसे लौटाने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने कहा था कि निर्माण गिराने का खर्च सुपरटेक वहन करेगा। न्यायालय ने कहा था कि इस अवैध निर्माण में बिल्डर और अधिकारियों की मिलीभगत है। बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायाल ने दोनों टावरों को अवैध घोषित कर गिराने के आदेश दिए थे, लेकिन बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी थी और टावर को सील करने के आदेश दिए थे।

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