NIA: मानव तस्करी और साइबर धोखाधड़ी मामलाः लाओस स्थित कंपनी के सीईओ के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल

एनआईए के मुताबिक जांच में पता चला है कि तस्करी किए गए युवाओं द्वारा गोल्डन ट्राइंगल में साइबर धोखाधड़ी में शामिल होने से इंकार करने पर उन्हें भूखा रहना पड़ा और कमरों में बंद करके पीटा गया।

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NIA: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 10 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानव तस्करी और साइबर धोखाधड़ी मामले में लाओस स्थित ‘लॉन्ग शेंग‘ कंपनी के सीईओ के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। आरोपपत्र में सुदर्शन दराडे को इस मामले में मुख्य आराेपित के रूप में नामित किया गया है। इस साल जून में एनआईए ने सुनील दराडे को मुंबई में गिरफ्तार किया था। दराडे इस मामले में आरोपपत्र दाखिल किए जाने वाले छठे और जेरी जैकब व गॉडफ्रे अल्वारेस के बाद गिरफ्तार किए जाने वाले तीसरे आरोपित है। यह जानकारी एनआईए ने दी।

दराडे के मोबाइल फोन से बड़ी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री बरामद
एनआईए की ओर से जारी बयान के मुताबिक, दराडे के मोबाइल फोन से बड़ी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई है। दराडे ने एनआईए को एक अन्य वांछित आरोपित सनी गोंजाल्विस के साथ-साथ विदेशी नागरिक निउ निउ और एल्विस डू के बारे में भी जानकारी दी है, जो अभी भी फरार हैं। एनआईए इन फरार लोगों के बारे में मिली जानकारी की जांच कर रही है।

युवाओं की तस्करी से संबंधित रैकेट
एनआईए की जांच से पता चला है कि दराडे की कंपनी ‘लॉन्ग शेंग‘ लाओस पीडीआर के बोकेओ प्रांत में स्थित है। यह कंपनी बैंकॉक के माध्यम से गोल्डन ट्राइंगल लाओस पीडीआर में युवाओं की तस्करी से संबंधित रैकेट में सक्रिय रूप से शामिल थी। नौकरी की पेशकश के बहाने यह कंपनी व्हाट्सएप के जरिए इंटरव्यू करती थी और युवाओं को नियुक्ति पत्र भेजती थी। यहां पहुंचने पर उन युवाओं को ऑनलाइन क्रिप्टो करेंसी धोखाधड़ी करने के लिए मजबूर किया जाता था। दराडे के निर्देश पर जैकब भारतीय युवाओं को गोल्डन ट्राइंगल लाओस ले जाने की व्यवस्था करता था।

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कमरों में बंद करके पीटा गया
एनआईए के मुताबिक जांच में पता चला है कि तस्करी किए गए युवाओं द्वारा गोल्डन ट्राइंगल में साइबर धोखाधड़ी में शामिल होने से इंकार करने पर उन्हें भूखा रहना पड़ा और कमरों में बंद करके पीटा गया। कुछ युवाओं को सोशल मीडिया पर संभावित पीड़ितों से दोस्ती करने के अपने लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहने पर बिजली के झटके भी दिए गए। एनआईए ऐसे युवकों व पीडितों से लगातार संपर्क में है। रोजगार के लिए असत्यापित अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से जुड़ने के खतरों के बारे में युवाओं को एनआईए अगाह भी कर रही है।

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