टेरर फंडिंग के मामले में दोषी करार यासिन मलिक को न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है साथी दस लाख रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है। जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट और हुर्रियत कॉन्फ्रेन्स के नेता यासिन मलिक पर गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) संशोधन विधेयक (यूएपीए) के अंतर्गत प्रकरण दर्ज किया गया था। आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने, आतंकी गतिविधियों के लिए धन जुटाने और आतंकी घटनाओं का षड्यंत्र रचने के प्रकरण में उसे दोषी करार दिया गया। जिसके लिए नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने फांसी देने की मांग की है।
बुधवार को सुनवाई के दौरान एनआईए ने यासिन मलिक की फांसी की सजा की मांग की थी। न्यायालय ने 19 मई को यासिन को दोषी करार दिया था। 10 मई को यासिन मलिक ने अपना अपराध मान्य कर लिया था। 16 मार्च को कोर्ट ने हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताफ अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। इस पर निर्णय सुनाते हुए विशेष एनआईए न्यायालय ने 25 मई को यासीन मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उस पर दस लाख रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है।
इसलिए हुई थी हुर्रियत कॉन्फ्रेन्स की स्थापना
एनआईए के अनुसार पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई।
टेरर फंडिंग कनेक्शन
एनआईए के मुताबिक हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। इस धन का उपयोग घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया।
नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने किया प्रकरण दर्ज
एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था। इसकी सुनवाई दिल्ली की पटियाला हाऊस में स्थित विशेष एनआईए न्यायालय में हो रही है।