दिल्ली पुलिस ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़ी बड़ी साजिश के मामले में उमर खालिद समेत दूसरे आरोपितों के खिलाफ दर्ज मामले में कुछ आरोपितों ने दिल्ली पुलिस से जांच की स्टेटस रिपोर्ट बताने की मांग का विरोध किया है। दिल्ली पुलिस ने कड़कड़डूमा कोर्ट में कहा कि आरोपितों के पास पुलिस से जांच का स्टेटस या समय सीमा की जानकारी मांगने का अधिकार नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।
दिल्ली पुलिस की ओर से वकील स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा कि आरोपितों की ओर से जांच की स्टेटस रिपोर्ट कानून के किस प्रावधान के तहत मांगी गई है, इसका जिक्र नहीं है। आरोपितों की ओर से दाखिल ये याचिका केवल ट्रायल में देरी करना भर है। मामले की केस डायरी कोर्ट समय-समय पर खुद देखती है।
दिल्ली पुलिस को निर्देश
18 सितंबर को कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि वो इस मामले की जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। मीरान हैदर की ओर से पेश वकील ने मामले की जांच की पर सवाल उठाते हुए कहा था कि दिल्ली पुलिस इस मामले की जांच साढ़े तीन साल से कर रही है। ये जांच पूरी हुई कि नहीं और अगर पूरी नहीं हुई तो कब तक पूरी होगी। आरोपित आज के दिन में विचाराधीन आरोपित न होकर जांच के अधीन हैं। पहले से जो तथ्य हैं उसी के आधार पर पूरक चार्जशीट दाखिल की जा रही है। ऐसे में पुलिस बताए कि जांच का स्टेटस क्या है।
आरोपी ने दायर की थी याचिका
इसके पहले 14 अगस्त को आरोपित मीरान हैदर और सफुरा जरगर की तरफ से कहा गया था कि वो जानना चाहते हैं कि क्या मामले में उनके खिलाफ पुलिस जांच पूरी हो चुकी है या नहीं। पुलिस को यह बताना चाहिए कि जांच पूरी हुई या नहीं और जांच पूरी नहीं हुई है तो कब तक पूरी हो जाएगी, साथ ही जांच अभी किस स्टेज में है। इसके अलावा पुलिस यह बताए कि उनके खिलाफ क्या-क्या आरोप लगाए गए हैं। आरोपितों की ओर से कहा गया कि मामले में आरोप तय किया जाना है लेकिन अभी तक यह जानकारी नहीं है कि जांच का स्टेटस क्या है। अगर आगे चलकर जांच एजेंसी मामले में कोई सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करती है तो उसका असर केस और दलील पर भी पड़ेगा।
चार आरोपियों को मिली जमानत
इस मामले में चार आरोपितों को जमानत मिल चुकी है। दो मार्च 2021 को कोर्ट ने आरोपितों के खिलाफ दायर तीसरी पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। कोर्ट ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि संज्ञान लेने के पहले ही चार्जशीट लीक हो जा रही है। कोर्ट ने कहा था कि संज्ञान लेने के पहले चार्जशीट लीक होने का ट्रेंड परेशान करनेवाला है। मीडिया की रिपोर्टिंग खासकर सोशल मीडिया पर हमेशा इसकी चर्चा होती रहती है। कोर्ट ने कहा था कि मीडिया खबरों को कवर करने के लिए स्वतंत्र है लेकिन उन्हें अपने रुख को लेकर सावधान रहना चाहिए।