देश के लिए जीने से हमें कोई नहीं रोक सकता – अमित शाह

देश के लिए जीने से हमें कोई नहीं रोक सकता। आजादी के 75 साल से 100 साल तक की यात्रा भारत को महान बनाने की होगी । 2023 से 2047 तक की यात्रा में भारत को महान देश बनाने के लिए हमें प्रयास करना चाहिए।

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रविवार को गुजरात के अहमदाबाद में हर घर तिरंगा अभियान के अंतर्गत आयोजित तिरंगा यात्रा को हरी झंडी दिखाने के बाद अपने संबोधन में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि शाह ने कहा कि आज आजादी के 75 साल बाद हम देश के लिए मर तो नहीं सकते मगर देश के लिए जीने से हमें कोई नहीं रोक सकता। आजादी के 75 साल से 100 साल तक की यात्रा भारत को महान बनाने की होगी । 2023 से 2047 तक की यात्रा में भारत को महान देश बनाने के लिए हमें प्रयास करना चाहिए।

अमित शाह ने कहा कि हाथ में तिरंगा लेकर खड़े हजारों लोगों को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा देश के हर बच्चे और हर युवा के मन में देशभक्ति का जज्बा पैदा करने के लिए चलाया गया अभियान सफल हो रहा है। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 2022 को देश में एक भी घर ऐसा नहीं था जिस पर तिरंगा न फहराया गया हो और लोगों ने सेल्फी न ली हो। गृहमंत्री ने कहा कि 13 से लेकर 15 अगस्त तक आप अपने घरों में तिरंगा फहराएं और अपनी फोटो इंटरनेट पर अपलोड करें।

शाह ने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में जिस प्रकार से ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ देशभक्ति का एक ज्वार खड़ा करने का जरिया बना, उसी तरह से ‘मेरी माटी-मेरा देश’ कार्यक्रम आने वाले दिनों में महान, विकसित व आत्मनिर्भर भारत बनाने के हमारे संकल्प को पूरा करेगा।

उन्होंने कहा कि 15 अगस्त,2023 को आजादी का अमृत महोत्सव समाप्त होगा और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश 15 अगस्त 2023 से लेकर 15 अगस्त 2047 तक आजादी का अमृत काल मनाएगा। आजादी के 75 साल से 100 साल की यात्रा के दौरान हम इस देश को हर क्षेत्र में महान और नंबर एक बनाएंगें। शाह ने कहा कि यह अमृत काल विशेषकर हमारी युवा पीढ़ी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होने कहा कि जिस प्रकार सन् 1857 से 1947 तक के 90 सालों में युवा पीढ़ी ने आजादी के आंदोलन का नेतृत्व किया और देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त किया, उसी तरह भारत की युवा पीढ़ी को 2023 से 2047 तक का समय देश को महान बनाने के लिए भारत माता को समर्पित करना है।

शाह ने कहा कि आजादी के इस संघर्ष में कई स्वतंत्रता सेनानीयों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगाते हुए हंसते-हंसते फांसी चढ़ गए। 17 साल के खुदीराम बोस, जिनके सामने पूरा जीवन पड़ा था, ने जाति, धर्म, प्रदेश और क्षेत्र ना देखते हुए देश के लिए अपना बलिदान दे दिया तो दूसरी ओर 80 साल के बाबू कुंवर सिंह जी सन् 1857 के संग्राम में वीरगति को प्राप्त हुए। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने देश की स्वतंत्रता के लिए जो बलिदान दिया है वो सिर्फ बलिदान नहीं है बल्कि हमारे लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवन जीने का एक संस्कार है।

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