मुंबई पोर्ट ट्रस्ट की नोटिस के विरोध में उतरे व्यापारी, अब लड़ेंगे कानूनी लड़ाई

पोर्ट ट्र्स्ट के भूखंड पर बड़ी संख्या में व्यावसायिक और निवासी बसे हुए हैं, जो अप्रत्याशित किराया वृद्धि की नोटिस से त्रस्त हैं।

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ईस्टर्न मुंबई लैंड असोसिएशन की ओर से पोर्ट ट्रस्ट की जमीनों पर बसे दुकानदारों और रहिवासियों की भव्य सभा का आयोजन किया गया। मुंबई पोर्ट ट्रस्ट की ओर से दी गयी डिमांड नोटिस के विरोध में इस सभा का आयोजन रे रोड के लकड़ी बंदर दारुखाना स्तिथ बॉम्बे मरीन इंजीनियरिंग वर्कर्स की जगह पर किया गया। इस सभा में हजारों की संख्या में लोगों ने उपस्थित रहकर मुंबई बंदर प्राधिकरण की ओर से दी गयी डिमांड नोटिस का विरोध जताया। इस विरोध सभा में शहर के विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने पोर्ट ट्रस्ट के भूखंड पर रहनेवाले भाडुतों को संबोधित किया।

अंधाधुंध किराया बढ़ोत्तरी
मुंबई पोर्ट ट्रस्ट ने टेरिफ अथॉरिटी ऑफ मेजर पोर्ट (टेम्प) के माध्यम से अपनी जमीन के किराये में 2800 से 3000 फीसदी तक की भारी भरकम बढ़ोतरी की है, जिसमें करोड़ों रूपये का भाड़ा वसूल करने का नोटिस ट्रस्ट द्वारा व्यापारियों को दिया गया है। ट्रस्ट ने यह किराया वर्तमान महीने से नहीं बल्कि 10 साल पूर्व के समय यानी 2012 से बढ़ाया है। ट्रस्ट की जमीन पर सालों से पट्टे पर हजारों व्यापारियों के कारखानें, दुकानें और कार्यालय हैं।

इसी नोटिस के संदर्भ आगे की रणनीति के बारे में विचार प्रकट किया गया और सभी पीड़ितों को एकजुट होने का आवाहन किया गया। इस सभा में सीएएमआईटी के चैयरमेन मोहन गुरनानी, एड.प्रेरक चौधरी, डीआईएसएमए के अध्यक्ष अशोक गर्ग, उपाध्यक्ष राजीव खंडेलवाल, ईएमएलयूए के अध्यक्ष इब्राहिम सूर्या, प्रीति शेनॉय, सुभाष गुप्ता, हरिद्वार सिंह सहित अन्य मान्यवरों ने विचार व्यक्त करते हुए सभी व्यापारी, दूकानदार, रहिवाशी व कामगारों को एकजुट होकर इस नोटिस के विरोध में लड़ने का आवाहन किया।

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व्यापारी लेंगे कानूनी सहायता
सभा को सम्बोधित करते हुए कर्मचारी यूनियन के नेता मोहन गुरनानी के कहा की “हमें कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ेगा, हमें अपनी आवाज बुलंद करनी होगी, व्यापारियों को अपना वोट बैंक बनाना होगा, आज नोटिस आया है कल घर से निकाला जायेगा, सभी को आवाज उठानी होगी, एकजुट होकर अपनी ताकत दिखानी होगी, व्यापारी हर संकट में देश के साथ खड़ा रहता है, सबसे बड़ा देशभक्त व्यापारी होता है, जिन-जिन को नोटिस आया है उन्हें अपना जवाब देना होगा, हमें क़ानून का दरवाजा खटखटाने की जरुरत है, संगठन के साथ मिलकर हमें अपने अधिकारों की लड़ाई लड़नी होगी, कोलाबा से वडाला के बीच जो भी आएंगे उन्हें सतर्क रहना पड़ेगा, डेवलपमेंट के साथ हम हैं उसके विरोध में नहीं है, हमें आंदोलन का रुख अख्तियार करना होगा।

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