अभिनेत्री कंगना रनौत के मुंबई के खार रोड स्थित घर पर तोड़क कार्रवाई किए जाने का खतरा एक बार फिर मंडराने लगा है। इससे पहले 2018 में महानगरपालिका ने कंगना के घर में अनधिकृत निर्माण किए जाने का आरोप लगाते हुए तोड़क कार्रवाई करने का नोटिस जारी किया था। फिलहाल यह मामला दिंडोशी दिवानी कोर्ट में प्रलंबित था। अब कोर्ट ने कंगना की रोक लगानेवाली याचिका को खारिज करते हुए उन्हें छह हफ्ते की मोहलत दी है। इन छह हफ्तों में कंगना बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील कर सकती हैं।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि बीएमसी ने कंगना के ऑफिस के साथ ही घर में भी अनधिकृत निर्माण की जांच की थी। उसके बाद मात्र 24 घंटे पहले नोटिस देकर बीएमसी ने उनके ऑफिस पर तोड़क कार्रवाई कर दी थी। इस कार्रवाई को कंगना ने बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी थीं। कोर्ट ने इस कार्रवाई को लेकर बीमसी को लताड़ लगाते हुए नुकसान की भरपाई करने का आदेश दिया था।
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अब बीएमसी की नजर कंगना के घर पर
अब बीएमसी की नजर कंगना के खार रोड स्थित आर्केड ब्रीज इमारत के घर पर लगी है। बीएमसी ने इससे पहले 2018 में इसमें अनधिकृत निर्माण किए जाने का आरोप लगाते हुए नोटिस जारी किया था। इस नोटिस के विरुद्ध कंगना ने दिंडोशी नयायालय में अपील की थी। तब न्यायालय ने बीएमसी की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। लेकिन बीएमसी ने इसके विरोध में सिटी सिविल कोर्ट में अपील कर इस स्टे को हटाने की मांग की थी। कोर्ट ने उसकी अपील पर सुनवाई करते हुए कंगना के घर पर तोड़क कार्रवाई करने का रास्ता साफ कर दिया है, लेकिन कोर्ट ने इसे चुनौती देने के लिए कंगना को छह हफ्तों का समय दिया है।
यहां से शुरू हुई लड़ाई
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद अभिनेत्री कंगना रनौत ने मामले की जांच को लेकर हमला बोल दिया। इसमें मुंबई पुलिस की जांच पर सवाल उठे तो परिवार ने सीबीआई जांच की मांग की। जैसे-जैसे मुद्दा गर्म होता गया कंगना की इस मामले में बयानबाजी बढ़ी। इसे लेकर एक समय ऐसा आया कि कंगना विरुद्ध शिवसेना हो गया। बड़े दिनों तक चली जुबानी जंग में कंगना चुप न हुई तो राज्य में सत्ता संभाल रही शिवसेना कहां चुप होती। कंगना के पुतले जले, उनके विरुद्द प्रदर्शन हुए और अंत में सबसे बड़ी कार्रवाई हुई। जिसे किया शिवसेना शासित मुंबई महानगरपालिका ने। मनपा ने कंगना के बांद्रा स्थित कार्यालय में अवैध रूप से किये कार्यों का कारण बताते हुए नोटिस दिया और चौबीस घंटे के भीतर तोड़ दिया। इस कार्रवाई को कंगना ने अवैध बताते हुए इसके विरुद्ध बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
वकीलों पर लाखों खर्च
कंगना द्वारा दायर याचिका का जवाब देने के लिए मनपा ने वरिष्ठ अधिवक्ता अस्पी चिनॉय को नियुक्त किया था। मनपा की तोड़क कार्रवाई से लेकर याचिका की सुनवाई तक 82 लाख रुपए खर्च कर दिये। जबकि इस मामले में कंगना की तरफ से उनके अधिवक्ता रिजवान सिद्दिकी देख रहे थे। इस पूरे मामले में मनपा की कार्रवाई को दोषपूर्ण बताते हुए कोर्ट ने मनपा की नोटिस को रद्द कर दिया। इस स्थिति में तोड़क कार्रवाई के लिए कंगना से पैसे वसूलने का स्वप्न देखेवाली मनपा के समक्ष अब हर्जाना देने की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
बतादें कि, हाईकोर्ट ने 10 सितंबर को मनपा की खिंचाई की थी। जिसमें कोर्ट ने कहा था कि, कंगना की अनुपस्थिति में उनके कार्यालय में मनपा ने प्रवेश कैसे किया। इसके बाद 27 नवंबर को इस कार्रवाई को अवैध करार दे दिया।