Russia-Ukraine war: रूस-यूक्रेन युद्ध का अभी भी तेल की कीमतों पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है। 12 जनवरी की सुबह तेल की कीमतें तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। इसका कारण रूस से तेल की खरीद पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंध हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका ने दो रूसी तेल कंपनियों, गैज़प्रोम नेफ्ट और सर्गुटनेफ्टेगाज़ से तेल खरीदना बंद कर दिया है, आरोप लगाया है कि रूस तेल व्यापार से अर्जित धन का उपयोग यूक्रेन पर हमला करने के लिए कर रहा है। अमेरिका ने रूस से आने वाले 183 तेल जहाजों को भी रोक दिया।
चीन और भारत में तेल आपूर्ति पर असर
इस कार्रवाई से तेल की आपूर्ति कम हो गई है और तेल की कीमतें बढ़ गई हैं। इससे चीन और भारत में तेल आपूर्ति पर भी असर पड़ेगा, जो रूस से तेल आयात करते हैं। ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतें सोमवार को 1.5 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 81 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गईं। यह 27 अगस्त 2024 के बाद से सबसे अधिक है।
रुस को बड़ा झटका
अमेरिका की ताजा कार्रवाई से रूस को बड़ा झटका लगने वाला है। तथा भारत और चीन को भी रूस से तेल खरीद कम करनी होगी तथा खाड़ी देशों पर अधिक निर्भर होना होगा। और इससे भारत की विदेशी मुद्रा भी खर्च होगी। इससे भारत में भी तेल की कीमतें बढ़ेंगी।
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कुछ महीनों तक वृद्धि कायम रहने की आशंका
वैश्विक बाजार वर्तमान में यह अनुमान लगा रहा है कि यह वृद्धि कम से कम कुछ महीनों तक कायम रहेगी। अमेरिका की पहल पर OFAC देशों द्वारा रूस पर लगाए गए नवीनतम प्रतिबंधों का सबसे अधिक प्रभाव भारत पर पड़ेगा। क्योंकि, अब रूस से तेल आयात कम हो जाएगा। अंतरराष्ट्रीय शोध फर्म ओनिक्स कैपिटल के शोध प्रमुख हैरी टिलिगविरिन ने कहा, ‘उन्हें खाड़ी देशों से तेल खरीदना होगा।’ उनका अनुमान है कि यह परिणाम इसी तिमाही में दिखाई देंगे।