Andhra Pradesh: तिरुपति लड्डू विवाद पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा- ये सनातन के खिलाफ साजिश है

पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने शनिवार को कहा कि यह निश्चित रूप से भारत के सनातनियों के खिलाफ सुनियोजित तरीके से किया गया षड्यंत्र है। इस प्रकार का कृत्य करके भारत के सनातनियों का धर्म भ्रष्ट करने की पूर्ण रूप से तैयारी की गई है।

36

आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) में स्थित प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर (Sri Venkateswara Swamy Temple) के प्रसाद लड्डूओं (Laddus) को जिस घी (Ghee) से बनाया जा रहा था, उसमें जानवरों की चर्बी (Fat) के इस्तेमाल की पुष्टि के बाद इस मामले में देशभर से कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के महंत पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (Mahant Pandit Dhirendra Krishna Shastri) ने कहा कि इसे सनातन (Sanatan) के खिलाफ साजिश बताया है। उन्होंने कहा है कि जैसा दावा किया जा रहा है, अगर ये सत्य है तो यह बहुत बड़ा अपराध है। उन्होंने दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की।

पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने शनिवार को कहा कि यह निश्चित रूप से भारत के सनातनियों के खिलाफ सुनियोजित तरीके से किया गया षड्यंत्र है। इस प्रकार का कृत्य करके भारत के सनातनियों का धर्म भ्रष्ट करने की पूर्ण रूप से तैयारी की गई है। उन्होंने कहा कि हम तो चाहेंगे कि वहां की सरकार सख्त से सख्त कानून बनाकर उन दोषियों को फांसी की सजा दे।

यह भी पढ़ें – Bageshwar Dham: प्रसाद में मिलावट प्रकरण में धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने सरकार को दी ये सलाह

उन्होंने कहा कि अगर भगवान के प्रसाद में चर्बी या मछली के तेल का प्रयोग किया गया हैं, तो इससे बड़ा वर्तमान में भारत में कोई दूसरा दुर्भाग्य नहीं हो सकता। इसकी बारीकी से जांच होना चाहिए। सरकार को शीघ्र अति शीघ्र हिंदुओं के मंदिरों को हिंदू बोर्ड के अधीन कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में जितने भी तीर्थ स्थल हैं, वहां पर बारीकी से सभी सनातनी जांच करवाएं और दोबारा इस प्रकार की यह घटना न हो इसके लिए सभी एकजुट होकर तैयार रहें।

वहीं, शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा है कि यह भक्तों की भावनाओं के साथ सबसे बड़ा खिलवाड़ और अपराध है। भगवान के प्रसाद में अपवित्र घटक मिलाना समस्त हिंदू जन समुदाय के प्रति अपराध है। इस मामले पर उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर जांच होना चाहिए और दोषियों को तत्काल गिरफ्तार कर सख्त सजा देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दंड ऐसा मिलना चाहिए कि भविष्य में ऐसा किसी और मंदिर में न हो सके। देश के सभी मंदिरों के प्रबंधन से सरकार का हस्तक्षेप पूरी तरह से खत्म होना चाहिए, क्योंकि मंदिरों में धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का निर्वहन केवल संस्कृति से जुड़े लोग ही कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि मंदिरों का प्रबंधन धर्माचार्यों के हाथों में दिया जाना चाहिए, ताकि मंदिरों की परंपरा और संस्कृति को बचाया जा सके। शंकराचार्य ने कहा कि तिरुमला मंदिर में जो हुआ है, वही बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर में हो रहा है। यहां भी सरकार पारंपरिक लोगों को हटाकर अब सीधी भर्ती प्रक्रिया शुरू कर रही है। ऐसे में धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ होना सामान्य बात हो जाएगी, क्योंकि जो लोग मंदिरों में काम करेंगे वह आस्था से नहीं बल्कि नौकरी से करेंगे।

वहीं, प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट को लेकर कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है, लोग इस तरह से सनातन धर्म के साथ खिलवाड़ करें तो यह बहुत ही दुख की बात है। लोगों का धर्म भ्रष्ट करना, जैसे मैं खुद ही जब यह खबर देखी तो भोजन नहीं कर पाया, क्योंकि मैंने कई बार वहां का प्रसाद खाया है, मुझे लगा कि पता नहीं मैंने कौन सी चीज खाई है, मन में एक ग्लानि सी है और गुस्सा भी है। जिन लोगों ने ऐसा काम किया है, उन्हें तो मृत्युदंड़ ही देना चाहिए।

देखें यह वीडियो – 

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.