सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने ऑनलाइन (Online) और ऑफलाइन लॉटरी टिकट (Offline Lottery Tickets) पर जीएसटी (GST) को लेकर अहम फैसला देते हुए कहा कि लॉटरी (Lottery) पर सिर्फ राज्य सरकार (State Government) ही टैक्स लगा सकती है, केंद्र सर्विस टैक्स नहीं लगा सकता। जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह फैसला सुनाया।
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में केंद्र की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें दावा किया गया था कि वह सर्विस टैक्स लगाने का हकदार है। सर्वोच्च न्यायालय ने सिक्किम हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें कहा गया था कि लॉटरी सट्टेबाजी और जुए की श्रेणी में आती है जो राज्य सूची की प्रविष्टि 62 है और सिर्फ राज्य सरकार ही टैक्स लगा सकती है।
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लॉटरी पर कर लगाने का अधिकार केवल राज्य सरकार को है
सर्वोच्च न्यायालय की बेंच ने आगे कहा, “लॉटरी टिकट खरीदने वाले और फर्म के बीच होने वाले लेन-देन पर सर्विस टैक्स लागू नहीं होगा… उक्त चर्चा को ध्यान में रखते हुए, हम पाते हैं कि भारत सरकार और अन्य द्वारा दायर अपीलों में कोई दम नहीं है। इसलिए, इन अपीलों को खारिज किया जाता है।” लॉटरी पर टैक्स लगाने का अधिकार सिर्फ राज्य सरकार को है।
केंद्र ने अपनी अपील में तर्क दिया था कि उसे सेवा कर लगाने का अधिकार है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से सहमति जताते हुए कहा कि लॉटरी “सट्टेबाजी और जुआ” के अंतर्गत आती है और संविधान की सूची-II के अनुच्छेद 62 में उल्लेखित अनुसार इसे राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में रखा गया है। केंद्र ने यह अपील 2013 में की थी जब लॉटरी फर्म फ्यूचर गेमिंग सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड ने इस मुद्दे पर याचिका दायर की थी।
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