मुंबई के दादर स्थित स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक (Swatantryaveer Savarkar Rashtriya Smarak) के मादाम कामा में शनिवार, 21 अक्टूबर को सावरकर स्ट्रैटजिक सेंटर (Savarkar Strategic Centre) की ओर से ‘पाकिस्तान्स रेप ऑफ काश्मीर’ (Pakistan’s Rape of Kashmir) विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की शुरुआत की स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर ने। इस अवसर पर लेफ्टिनेंट कर्नल मनोज कुमार सिन्हा, ब्रिगेडियर हेमंत महाजन, कैप्टन संजय पाराशर, कैप्टन सिकंदर रिजवी सहित स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे, कार्यवाह राजेंद्र वराडकर, सह-कार्यवाह स्वप्नील सावरकर आदी उपस्थित थे।
पाकिस्तान के आक्रमण के बाद कश्मीर के लोगों पर क्या बीती, इसे याद करते हुए और कश्मीर के विकास की ओर बढ़ते हुए कैप्टन सिकंदर रिजवी ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों से चर्चा की और कश्मीर और पीओके के मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए।
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21 अक्टूबर 1947 की घटना
उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा कि हम आंतरिक संघर्ष से लड़ रहे हैं। हमारा एक शत्रु उत्तर में है और हमारा एक शत्रु पश्चिम में है और आधा युद्ध जो है हम अंदर लड़ रहे हैं। अपनों से लड़ रहे हैं। ये लड़ाई इतनी गंभीर है कि हम अपने दुश्मनों को जानकर भी अनजान बन जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम उस तारीख के बारे में बात करने जा रहे हैं जब भारत का विभाजन हुआ था। पीओके का मुद्दा बंटवारे के 2 महीने बाद यानी 21 अक्टूबर 1947 से उठा है। 10 या 12 अक्टूबर को लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल अपने कार्यालय में बहुत चिंतित थे और उन्होंने एक व्यक्ति के माध्यम से सरसंघचालक पूज्य गोलवलकर गुरुजी को प्रस्ताव दिया कि कश्मीर राज्य का अभी तक विलय नहीं हुआ है। हर संभव प्रयास किया गया है। यदि तुम वहाँ जाओगे तो राजा तुम्हारी बात सुनेंगे।
20 हजार हिंदू मारे गए
सरदार वल्लभभाई पटेल ने गोलवलकर गुरुजी से कहा कि आपकी हिंदुओं पर बहुत अच्छी पकड़ है और महाराज एक हिंदू हैं और वह आपकी बात सुनेंगे। 18 अक्टूबर 1947 की शाम को गुरुजी कश्मीर आए और हिंदू महाराज से मिले और महाराज को पूरी कहानी बताई और उनसे इस मुद्दे पर विचार करने को कहा। महाराज ने कहा, कश्मीर में हमारी हवाई पट्टी छोटी है। निकटतम हवाई अड्डा लाहौर में है। हमें संचार संबंधी समस्याएं हैं। तब महाराज के उत्तर पर गुरुजी ने कहा कि आप देख नहीं रहे हैं। पाकिस्तान से हर दिन 20 हजार हिंदू मारे जा रहे हैं और उनकी लाशें रेल से भारत भेजी जा रही हैं और आप हिंदू हैं महाराज, अगर पाकिस्तान के साथ चले गए तो सब चौपट हो जाएगा।
हजारों कश्मीरी पंडितों की हत्या
20 अक्टूबर को जब ये बातचीत हुई तो महाराज ने कहा ठीक है मैं भारत के साथ जाऊंगा, हिंदुओं के साथ जाऊंगा। ये सारी बातचीत जासूसों के जरिए रावलपिंडी तक पहुंच गई। जब पाकिस्तानियों को इस बात का पता चला तो उन्होंने 20 हजार लोगों को मार डाला और इस मिशन का नाम ‘ऑपरेशन गुलमर्ग’ रखा गया। यह ऑपरेशन गुलमर्ग आज भी जारी है। उस समय हजारों कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी गई थी। यह सब नीलम नदी घाटी में शारदा पीठ के पास चल रहा था। कश्मीर घाटी के रास्ते में मिलने वाले हिंदू मरते रहे। उस किताब में लिखा था कि वे चाहते थे कि कश्मीरी मुसलमान अपना मन बदलें और कश्मीर लौट आएं। कैप्टन सिकंदर रिजवी ने कहा कि यह इतिहास हमें हमारे शासकों ने नहीं पढ़ाया।
कैप्टन सिकंदर रिजवी ने यह बात स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के मादाम कामा में ‘सावरकर स्ट्रैटजिक सेंटर’ के कार्यक्रम ‘पाकिस्तान्स रेप ऑफ काश्मीर’ में कही।
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