देश के किसानों के साथ अन्याय और अत्याचार की घटनाएं कोई नई बात नहीं है। इसी तरह की एक और घटना महाराष्ट्र के अमरावती जिले में घटी है। इस घटना में संतरा उत्पादक किसान परिवार के दो सदस्यों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इस घटना में पहले छोटे भाई व्यापारी और पुलिस ने परेशान होकर मौत को गले लगा लिया, उसके बाद उसके अंतिम संस्कार कर लौट रहे बडे भाई की भी दिल के दौरा पड़ने से मौत हो गई।
राज्य मंत्री बच्चू कडू को लिखी थी चिट्टी
देश में नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े किसानों के आंदोलन के बीच महाराष्ट्र के अमरावती में घटी ये घटना काफी दुखद है। मिली जानकारी के अनुसार अमरावती के अंजनगांव सुर्जी तालुका के धनेगांव के रहिवासी अशोक पांडुरंग भुयार (55) ने प्रदेश के राज्य शिक्षा मंत्री बच्चू कडू को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में उन्होंने उनसे न्याय की मांग करते हुए अपने साथ की गई ज्यादती का जिक्र किया था। चिट्टी के मुताबिक संतरे के बाग की बोली लगानेवाले बिचौलिए व्यापारी ने पहले उसे शराब पिलाई और बाद में उससे जबर्दश्ती संतरे के पैसे की रसीद पर साइन करा लिया। जब किसान ने इसका विरोध किया तो व्यपारी ने उसके साथ मारपीट भी की।
थानेदार ने भी की पिटाई
उसकी व्यथा कथा का अंत यही नहीं हुआ। वह जब इस बारे में स्थानीय पुलिस स्टेशन मे शिकायत करने गया तो थाना अधिकारी ने भी उसकी पिटाई की। सब जगह से निराश और हताश अशोक भुयार ने जहर पीकर अपनी जान दे दी। समझा जा रहा है कि व्यापारी से मिलीभगत होने के कारण उसने पीड़ित किसान को न्याय देने के विपरीत उसके साथ मारपीट की।
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स्थानीय लोगों ने किया हंगामा
इस दुखद घटना के बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस स्टेशन में काफी हंगामा किया। इसके बाद मृतक किसान के बेटे गौरव अशोक भुयार की शिकायत पर पुलिस ने उपनिरीक्षक दीपक श्रावण, व्यापारी अमीन और शेख गफूर के खिलाफ शिकायत दर्ज की।
बड़े भाई का भी दिल का दौरा पड़ने से मौत
बात यही खत्म नहीं हुई और छोटे भाई की आत्महत्या से दुखी और निराश अशोक भुयार के बड़े भाई जब उनका अंतिम संस्कार कर लौट रहे थे तो उन्हें दिल का दौरा पड़ा। इस घटना में उनकी भी मौत हो गई। फिलहाल इस घटना के बाद अशोक भुयार के परिवार के साथ ही पूरे गांव में शोक की लहर है।
काश बच्चू कडू दिला पाते न्याय!
दुख की बाl यह भी है कि महाराष्ट्र में किसानों के बड़े नेता माने जानेवाले बच्चू कडू ने भी समय रहते कोई कदम नहीं उठाया। अगर वे अशोक भुयार की चिट्टी पर गौर करते हुए उनकी मदद करने की पहल करते तो भुयार परिवार के दो सदस्यों की जान शायद बच जाती!