पाकिस्तान की दो धुरी सेना और सियासत जनता के विरोध का सामना कर रही हैं। विपक्षी पार्टियां एकजुट हो गई हैं। प्रधानमंत्री महंगाई, अपराध, लोगों की असंतुष्टि को नियंत्रित करने में असफल साबित हो रहे हैं। तो दूसरी तरफ सेना एक साथ कई फ्रंट पर लड़ रही है। जिसके कारण देश में आए दिन आंदोलन, आतंकी हमले हो रहे हैं, अंदेशा है कि अपने बुने जाल में ही फंसकर पाकिस्तान बिखर न जाए।
पाकिस्तान आर्थिक मोर्चे पर खस्ताहाल है। महंगाई तेजी से सिर उठा रही है। आम जनमानस उत्पीड़न, अपराध और सेना की तानाशाही का शिकार है जबकि सियासत असहाय बनी बैठी है। प्रधानमंत्री इमरान खान अपने कार्यालय तक सीमित हैं। इस बीच देश में एक के बाद एक धमाके हो रहे हैं। बलूचिस्तान अपने स्वतंत्रता के गीत गाने को आतुर है, खैबर पख्तुनवा और सिंध प्रांत पहले से ही बेड़ियां तोड़कर स्वतंत्रता के स्वप्न साकार करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे में इमरान खान की सरकार के खिलाफ 11 राजनीतिक पार्टियों के एकजुट होकर आंदोलन छेड़ने से देश में गृहयुद्ध जैसी परिस्थिति उत्पन्न हो गई है।
अमेरिका-अरब ने हाथ हटाया, चीन चूस रहा
सामरिक और विदेश मामलों के विशेषज्ञ ब्रिगेडियर (रि) हेमंत महाजन के अनुसार पाकिस्तान को मिलनेवाली अरब देशों की फंडिंग बंद हो चुकी है। अमेरिका पहले से ही तिरछी निगाह किये बैठा है। ऐसे में दगाबाज चीन कर्ज देकर पाकिस्तान को चूस रहा है। जिसके कारण देश का आर्थिक तानाबाना डगमगा गया है।
पाकिस्तान में इन विपरीत परिस्थितियों के कारण महंगाई, बदहाली चरम पर है। इसके कारण पाकिस्तान और चीन के बीच बननेवाला सीपीइसी (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) का कार्य ठप्प पड़ जाए तो आश्चर्य नहीं होगा।
सेना बंटी, राइफलें डंटी
ब्रिगेडियर (रि) हेमंत महाजन के अनुसार पाकिस्तानी सेना वर्तमान में तीन फ्रंट पर बंट गई है। उसकी सेना भारत के साथ लगी सीमा पर तैनात है ही लेकिन उसके अलावा अफगानिस्तान और देश में चल रहे बलुचिस्तान आदि प्रांतों के विरोध को दबाने के लिए भी लगी हुई है। भारत की सीमा पर पाकिस्तान की कुल सैन्य शक्ति का 85 प्रतिशत तैनात रहता है लेकिन अब परिस्थिति भिन्न है। सेना बंट गई है। ब्रिगेडियर महाजन बताते हैं एक अनुमान के अनुसार पाकिस्तान में प्रति व्यक्ति तीन एके-47 राइफलें हैं। जो देश की आबादी का मिजाज बताता है। एक हल्का सा विवाद होते ही लोग राइफलें तान देतें हैं। जिसका खामियाजा सेना, सरकार और जनता को उठाना पड़ा है।
शराफत ने मारा
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और आईएसआई प्रमुख जनरल फैज हमीद को देश की वर्तमान परिस्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराना, सेना और राजनीति के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न कर दी है। देश की 11 पार्टियां सरकार गिराने के लिए पूरा जोर लगा रही हैं। सेना और सियासत दोनों विपक्ष के निशाने पर हैं। इसके साथ ही वर्षों से उत्पीड़न का शिकार जो प्रांत रहे हैं उन्होंने अपनी स्वतंत्रता के लिए सुरक्षाबलों और सार्वजनिक ठिकानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
एफएटीएफ से निकलने की चालबाजी
पाकिस्तान ऐसा देश है जो बदहाली को भी अवसर मानता है। देश में उत्पन्न गृहयुद्ध जैसी स्थिति का उपयोग वो एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए कर सकता है। आतंक की फैक्ट्रियां भले ही उसकी जमीन से पनप रही हों लेकिन जब उसके अपने बम उसे ही घायल कर रहे हैं तो इसे गलत रूप से प्रदर्शित करके एफएटीएफ की सूची से हटाए जाने की कोशिश कर सकता है।
पाकिस्तान में चल रहे इन हालातों के कारण सरकार कोमा की स्थिति में है सेना नागरिकों और विपक्ष के हमले झेल रही है। इस स्थिति में देश बिखर जाते तो अश्चर्य नहीं होगा।
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