कर्ज का मर्ज: बेचने निकला पाकिस्तान, बोली लगाया हिंदुस्थान

पाकिस्तान चीन के कर्ज से उस स्थिति में पहुंचने की ओर है, जिस स्थिति में श्रीलंका पहुंच गया है। आतंकवाद को पालनेवाले पाकिस्तान की कमर तोड़ी एफएटीएफ की ग्रे सूची ने भी, जिसके कारण उसे अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से कर्ज मिलने में दिक्कत होने लगी।

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पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति गंभीर है, विदेशी मुद्रा भण्डार 6.7 अरब डॉलर से नीचे लुढ़क गया है। जिसके बाद पाकिस्तानी सरकार ने अमेरिका के तीन डिप्लोमैटिक कार्यालयों को बेचने का निर्णय किया है। पाकिस्तान को इससे एक बीलियन की राशि मिलने की आशा है।

दूतावास की जिस पुरानी इमारत को पाकिस्तान ने बेचने के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं, वह वाशिंग्टन डीसी के प्रमुख केंद्र में स्थित है। इस संदर्भ में दिसंबर के पहले सप्ताह में सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने जानकारी दी थी कि, पाकिस्तान कैबिनेट ने दो इमारतों को बेचने की अनुमति दी थी। यह इमारतें इस महीने नहीं बिकती हैं तो सरकार को 1.3 मीलियन डॉलर कर अदा करना होगा। जो खस्ताहाल पाकिस्तान के लिए असंभव है।

हिंदुस्थानी व्यापारी ने लगाई बोली
वाशिंग्टन के पाकिस्तानी दूतावास के लिए तीन व्यापारियों ने बोली लगाई है, जिसमें एक यहूदी समूह ने 68 लाख डॉलर की बोली लगाई है। यह समूह दूतावास की इमारत में धार्मिक स्थल बनाना चाहता है। जबकि, दूसरी बोली 50 लाख डॉलर की एक हिंदुस्थानी व्यापारी ने लगाई है, इसी प्रकार पाकिस्तानी प्रॉपर्टी व्यापारी ने 40 लाख डॉलर की बोली लगाई है।

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पैसा हजम, खेल खतम
पाकिस्तान की विदेशी मुद्रा भण्डार 6.7 अरह डॉलर के नीचे पहुंच गया है। पाकिस्तानी रुपिया का लगातार अवमूल्यन हो रहा है। प्रति डॉलर के लिए 224 रुपिया पाकिस्तान को खर्च करना पड़ रहा है। इस पैसा हजम के खेल में निर्यात बुरी तरह से नीचे गिरा है। आयातित सामानों के लिए देशों को भुगतान करने की स्थिति नहीं है। यानी पाकिस्तान का पैसा हजम, खेल खतम वाला खेल चल रहा है।

आईएमएफ से है आस
निर्धन पाकिस्तान को अब इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) से कर्ज की रुकी हुई किश्त मिलने का आस है। इसके लिए वह आईएमएफ द्वारा दी गई सूची के अनुसार कदम उठा रहा है। इसमें से एक शर्त है सेंट्रल डेब्ट मैनेजमेन्ट ऑफिस करना। इसके लिए तीन सप्ताह का समय है, जिसको समय सीमा में पूरा करके आईएमएफ अधिकारियों के साथ बैठक में रिपोर्ट सौंपना है।

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