भारत में अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार का मुद्दा जोर-शोर से उठानेवाले पाकिस्तान में हिंदुओ के साथ ही सिख औऱ ईसाईयों की स्थिति के बारे में पूरी दुनिया को पता है, हालांकि पाकिस्तान कभी भी यह स्वीकार नहीं करता, लेकिन अब खुद पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इसका खुलासा कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को बेपर्दा कर दिया है। आयोग ने जो रिपोर्ट पेश की है, उसमें हिंदू मंदिरों की हालत बेहद खराब बताई गई है।
एक सदस्यीय आयोग ने पेश की रिपोर्ट
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू मंदिरों की स्थिति पर रिपोर्ट देने के लिए डॉक्टर शोएब सदल की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था। आयोग ने अपनी सातवीं रिपोर्ट में अफसोस जताते हुए बताया है कि ईवैक्यूई ट्रस्ट प्रोपर्टी बोर्ड( ईटीपीबी) हिंदुओं के अधिकांश प्राचीन धर्म स्थलों को संभालने में विफल रहा है।
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रिपोर्ट में दो मंदिरों का हाल
आयोग ने 6 जनवरी को चकवाल में कटस राज मंदिर और 7 जनवरी को मुल्तान के प्रह्लाद मंदिर का दौरा किया था। रिपोर्ट में पाकिस्तान के चार सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से दो की जानकारी पेश की गई है। रिपोर्ट में मंदिरों की तस्वीरों को भी संलग्न किया गया है।
ज्यादातर मंदिरों पर भूमाफिया का कब्जा
पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने एक सदस्यीय आयोग का गठन किया है , हालांकि इसमें 3 सहायक सदस्य भी शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में कुल 365 मंदिर हैं। इनमें से सिर्फ 13 के रखरखाव की जिम्मेदारी ईटीपीबी ने ली हुई है। जबकि 65 मंदिर ऐसे हैं, जिनकी देखभाल खुद हिदू समुदाय करता है, जबकि 287 मंदिरों पर भूमाफिया ने कब्जा जमा लिया है।
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प्रवासित अल्पसंख्यकों की संपत्तियों पर भी कब्जा
रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि ईटीपीबी की दिलचस्पी मात्र प्रवासित अल्पसंख्यकों की महंगी संपत्तियों पर कब्जा जमाने की है। वह अब तक अल्पसंख्यक समुदाय के सैकड़ों पूजास्थलों ,धर्मस्थलों और अन्य संपत्तियों को अपने कब्जे में ले चुका है।
2020 में भीड़ ने मंदिर में लगा दी थी आग
बता दें कि पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने ही खैबर पख्तूनखबा में तोड़े गए एक सौ वर्ष पुराने हिंदू मंदिर को दोबारा बनवाने का आदेश दिया था। इस मंदिर को दिसंबर 2020 में भीड़ ने हमला कर तोड़ दिया था और आग लगा दी थी। इस वजह से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को काफी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी।