मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के राजस्व प्रशासन सुधार (Revenue Administration Reforms) में साइबर तहसील व्यवस्था (Cyber Tehsil System) के माध्यम (Media) से नागरिकों (Citizens) के हित में अभूतपूर्व परिवर्तन होने जा रहा है। गुरुवार (29 फरवरी) को प्रदेश के सभी जिलों में एक साथ साइबर तहसील (Cyber Tehsil) का शुभारंभ होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) शाम चार बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘विकसित भारत विकसित मध्य प्रदेश’ कार्यक्रम में जुड़ेंगे और मध्य प्रदेश में साइबर तहसील परियोजना का शुभारंभ करेंगे। भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शामिल होंगे।
इस आयोजन के बारे में सरकार की ओर से शिवप्रसन्न शुक्ल ने बताया कि साइबर तहसील व्यवस्था प्रारंभ होने से प्रदेश में राजस्व प्रकरणों का निराकरण अत्यंत कम समय में हो जाएगा। भू अभिलेखों में अमल के बाद भू-अभिलेखों और आदेश की सत्यापित प्रतिलिपि संबंधित पक्षकार को मिल सकेगी। अब अनावश्यक रूप से लंबित रहने वाले प्रकरणों का तकनीकी सहायता से कम समय में गुणवत्तापूर्ण निराकरण हो सकेगा। साइबर तहसीलों में औसत 15 से 17 दिनों का समय लग रहा है, जो मैन्युअल प्रक्रिया में लगने वाले 60 दिनों की तुलना में महत्वपूर्ण उपलब्धि है। 15 दिन की समय सीमा में बिना आवेदन दिए, पेपरलेस और ऑनलाइन नामांतरण तथा भू अभिलेख अद्यतन करने के लिए साइबर तहसील स्थापित की गई है।
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साइबर तहसील की व्यवस्था सभी जिलों में लागू हो रही है
इस प्रकार संपूर्ण खसरा के क्रय विक्रय से संबंधित नामांतरण प्रकरणों का निराकरण साइबर तहसीलों से किया जा सकता है। अब ऐसे प्रकरणों में त्वरित नामांतरण के अलावा भू-अभिलेख अपडेट होगा। तहसील स्तर पर अविवादित प्रकरणों के निराकरण का भार कम होगा। साइबर तहसील की व्यवस्था के लिए राजस्व विभाग द्वारा मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 में संशोधन कर धारा 13-क में साइबर तहसील के प्रावधान किए गए हैं। अब साइबर तहसील की व्यवस्था सभी जिलों में लागू हो रही है।
ऐसे होगा काम
साइबर तहसील में पंजीयन से नामांतरण तक की प्रकिया लागू कर दी गई है। साइबर तहसील को 4 अलग-अलग प्लेटफार्मों जैसे संपदा पोर्टल, भूलेख पोर्टल, राजस्व प्रकरण प्रबंधन व्यवस्था के पोर्टल से जोड़ दिया गया है।
साइबर तहसील में ऐसे प्रकरण हैं निराकरण योग्य
संपूर्ण खसरा, जिसे विभाजित नहीं किया गया एवं ऐसी जमीन जो किसी प्रकार से गिरवी या बंधक ना रखी गई हो। पोर्टल पर पंजीयन करने के बाद और रजिस्ट्री के बाद रेवेन्यू पोर्टल पर स्वतः केस दर्ज हो जाएगा। इसके बाद सायबर तहसीलदार द्वारा जांच की जाएगी। सूचना के बाद इश्तेहार एवं पटवारी रिपोर्ट के लिए मेमो जारी किया जाएगा। इसके बाद आदेश पारित कर भू-अभिलेख को अपडेट किया जाएगा। दस दिन बाद दावा आपत्ति प्राप्त नहीं होने पर ई मेल एवं व्हाट्सऐप से आदेश दिए जाएंगे।
साइबर तहसील की विशेषताएं व लाभ
उल्लेखनीय है कि रजिस्ट्री के बाद बिना आवेदन किये नामांतरण का प्रखंड दर्ज हो जाता है। इस प्रक्रिया में क्रेता और विक्रेता को नामांतरण के लिए तहसील कार्यालय में उपस्थित होने, पेशी पर आने की जरूरत नहीं है। संपूर्ण प्रक्रिया ऑनलाइन है। नोटिस क्रेता विक्रेता तथा ग्राम के सभी निवासियों को एसएमएस से मिलता है। नोटिस आरसीएमएस पोर्टल पर भी दिखता है। इसमें ऑनलाइन आपत्ति दर्ज की जा सकती है। अंतिम आदेश की कॉपी ईमेल या व्हाट्सएप के माध्यम से आवेदक को मिलेगी। आदेश पारित होते ही स्वतः भू-अभिलेखों में सुधार हो जाता है। आदेश एवं राजस्व अभिलेखों में अमल की प्रक्रिया अवकाश को छोड़कर 15 दिनों में पूरी हो जाएगी। इस प्रणाली से रियल टाइम में भू अभिलेख अपडेट किए जाने की अनूठी सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इससे पटवारी का हस्तक्षेप नहीं रहेगा।
पटवारी रिपोर्ट ऑनलाइन जमा करने की सुविधा है। कम से कम समय में निराकरण होगा। पहले इन प्रक्रियाओं में औसत 60 दिन लग जाते थे। साइबर तहसील में औसत 15 दिनों में ही यह प्रक्रिया पूरी हो जायेगी। साइबर तहसील द्वारा पारित आदेश की पीडीएफ प्रति आवेदक को ई-मेल और व्हाट्सऐप से मिल जाएगी। इसकी प्रति आरसीएमएस पोर्टल पर भी अपलोड होगी।
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