प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक के प्रकरण में पंजाब के नौ शीर्ष अधिकारी नपने तय हैं। इनमें तत्कालीन मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक समेत कई पुलिस अधिकारी शामिल हैं। इस प्रकरण की जांच सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में हुई थी। कमिटी ने 25 अगस्त 2022 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस प्रकरण की जांच के आदेश दिये थे। जिसके लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश इंदू मल्होत्रा की अध्यक्षता में जांच कमिटी का गठन किया था। जिसने अपनी रिपोर्ट लगभग सात महीने पहले सौंप दी थी, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। दो दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव अजय भल्ला ने एक पत्र पंजाब सरकार को लिखा और एक्शन टेकेन रिपोर्ट की मांग की। जिसके बाद सरकार में हलचल है और नौ अधिकारियों के नपने की आशा है।
कमिटी की जांच में नौ अधिकारी दोषी
सर्वोच्च न्यायालय की कमिटी के अनुसार जिन नौ अधिकारियों को प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है, उसमें तत्कालीन मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी, तत्कालीन पुलिस महानिदेशक एस.चट्टोपाध्याय, एसएसपी हरमनदीप सिंह हंस और चरणजीत सिंह, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक नागेश्वर राव और नरेश अरोरा, आईजी राकेश अग्रवाल और इंदरबीर सिंह, डेप्युटी आईजी सुरजीत सिंह (अब सेवानिवृत्त) का नाम है।
ये भी पढ़ें – टी.राजा ने की घोषणा, भारत किस वर्ष में बनेगा अखंड हिंदू राष्ट्र?
…और पुल पर रुक गया प्रधानमंत्री का काफिला
यह प्रकरण 5 जनवरी 2022 का है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बठिंडा हवाई अड्डे से सड़क मार्ग द्वारा फिरोजपुर स्थित राष्ट्रीय वीर स्मारक के लिये जा रहे थे। इस बीच प्रदर्शनकर्ताओं का बड़ा दल सामने से आ गया। जिसके कारण प्रधानमंत्री की सुरक्षा करनेवाले स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप ने काफिले को प्लाईओवर पर ही रोक दिया। फ्लाईओवर पर काफिला लगभग बीस मीनट से अधिक समय तक रुका रहा। एसपीजी ऐक्ट के सेक्शन 14 के अंतर्गत प्रधानमंत्री के राज्य में भ्रमण के समय राज्य सरकार को सभी आवश्यक सहायता एसपीजी को करनी होती है। इस घटना के बाद प्रधानमंत्री रैली को संबोधित किये बिना ही पंजाब से लौट गए थे।