Population: घटती जनसंख्या दर पर सरसंघचालक मोहन भागवत की सलाह; कहा, ‘जनसंख्या में कमी…’

नागपुर में ‘कथले कुल सम्मेलन’ में बोलते हुए उन्होंने कहा कि ‘कुटुम्ब’ समाज का अभिन्न अंग है, जिसमें प्रत्येक परिवार एक इकाई के रूप में कार्य करता है।

66

Population: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) (आरएसएस) प्रमुख (RSS chief) मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने रविवार को परिवार के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यदि जनसंख्या वृद्धि दर (population growth rate) 2.1 से नीचे गिर (falls below 2.1) जाती है तो समाज नष्ट हो जाएगा।

नागपुर में ‘कथले कुल सम्मेलन’ में बोलते हुए उन्होंने कहा कि ‘कुटुम्ब’ समाज का अभिन्न अंग है, जिसमें प्रत्येक परिवार एक इकाई के रूप में कार्य करता है।

यह भी पढ़ें- Google AI : मदद या मौत ? जिम्मेदार कौन ?

नसंख्या वृद्धि दर 2.1
आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा, “जनसंख्या में कमी चिंता का विषय है, क्योंकि लोकसंख्या शास्त्र कहता है कि अगर हम 2.1 से नीचे चले गए तो वह समाज नष्ट हो जाएगा, कोई उसे नष्ट नहीं कर सकता, वह अपने आप नष्ट हो जाएगा।” आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत की जनसंख्या नीति, जो 1998 या 2002 के आसपास तय की गई थी, कहती है कि जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से कम नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हमें दो से अधिक, यानी तीन (जनसंख्या वृद्धि दर के रूप में) की आवश्यकता है, यही जनसंख्या विज्ञान कहता है। यह संख्या महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे (समाज को) जीवित रहना चाहिए।” इससे पहले, नागपुर में दशहरा रैली के दौरान आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत को एक सुविचारित जनसंख्या नीति की आवश्यकता है जो सभी समुदायों पर समान रूप से लागू हो।

यह भी पढ़ें- Wakf Board: चंद्रबाबू नायडू सरकार ने आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड को किया भंग, यहां पढ़ें

जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में बदलाव
उन्होंने कहा कि समुदायों के बीच जनसंख्या असंतुलन भौगोलिक सीमाओं को प्रभावित कर सकता है और इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने देश में समुदायों के बीच संतुलन बनाए रखने के महत्व पर भी ज़ोर दिया। आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा, “यह सच है कि जितनी ज़्यादा आबादी होगी, बोझ भी उतना ही ज़्यादा होगा। अगर आबादी का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो यह एक संसाधन बन जाती है। हमें यह भी विचार करना होगा कि हमारा देश 50 साल बाद कितने लोगों को खाना खिला सकता है और उनका भरण-पोषण कर सकता है। जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में बदलाव होता है।”

यह भी पढ़ें- Chhattisgarh: सरगुजा में कार-ट्रक में भीषण टक्कर, पांच की माैत

समान अधिकार दिए जाने की आवश्यकता
आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा, “जनसंख्या नियंत्रण और धर्म आधारित जनसंख्या संतुलन एक महत्वपूर्ण विषय है जिसे अब और नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता…इसलिए एक व्यापक जनसंख्या नीति लाई जानी चाहिए और यह सभी पर समान रूप से लागू होनी चाहिए। तभी जनसंख्या नियंत्रण से जुड़े नियमों के नतीजे सामने आएंगे।” आरएसएस प्रमुख भागवत ने महिलाओं को हर जगह समान अधिकार दिए जाने की वकालत भी की थी। उन्होंने कहा था कि महिलाओं को मां मानना ​​अच्छी बात है, लेकिन उन्हें बंद दरवाजों तक सीमित रखना ठीक नहीं है। उन्होंने महिलाओं को सभी क्षेत्रों में निर्णय लेने के लिए समान अधिकार दिए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि महिलाएं अपनी ताकत से बहुत से ऐसे काम कर सकती हैं जो पुरुष नहीं कर सकते।

यह वीडियो भी देखें-

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.