PP Act Pending Cases: पीपी एक्ट में लंबित मामले को निस्तारित करने के आदेश, जानिये क्या है यह एक्ट

जिस मकसद से जनहित याचिका दायर की गई थी वह पूरा हो चुका है लिहाजा जनहित याचिका को निस्तारित किया जाय।

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PP Act Pending Cases: उत्तराखंड हाई कोर्ट (uttarakhand high court) ने पंत नगर विश्वविद्यालय की भूमि, नेशनल हाइवे, नगला व वन विभाग की जमीन पर हुए अतिक्रमण के खिलाफ दायर जनहित पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश रितु एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने जनहित याचिका (Public interest litigation) को निस्तारित करते हुए पीपी एक्ट में जो मामले लंबित हैं उनको निस्तारित करने के आदेश दिए हैं।

सुनवाई पर राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि जिन अतिक्रमणकारियों ने कोर्ट के आदेश के बाद जिला जज व फारेस्ट विभाग में अतिक्रमण के नोटिस को चुनोती दी थी उनमें कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए दिशा निर्देश के अनुसार सुनवाई हो रही है। संबंधित विभागों के द्वारा अपने क्षेत्र का अतिक्रमण हटाया जा चुका है। जिस मकसद से जनहित याचिका दायर की गई थी वह पूरा हो चुका है लिहाजा जनहित याचिका को निस्तारित किया जाय। इसपर सन्तुष्ट होकर कोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दी।

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जनहित याचिका दायर
मामले के अनुसार हल्द्वानी निवासी अमित पांडे ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि जिला उधमसिंह नगर के पंतनगर, नगला, नेशनल हाइवे और पंतनगर यूनिवर्सिटी और वन विभाग की सरकारी भूमि पर पिछले कई सालों से अतिक्रमण कर अवैध रूप से निर्माण किया जा चुका है। जिला प्रसाशन इसे हटाने में नाकाम हो रहा है जबकि कई बार इसको हटाने के लिए उनके द्वारा कई बार प्रसाशन को अवगत कराया गया लेकिन अतिक्रमण नहीं हटने के कारण आए दिन नेशनल हाइवे पर घण्टों का जाम लगा रहता है, इसलिए रोड, वन विभाग व विस्वविद्यालय की भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाया जाए।

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क्या है पीपी एक्ट?
आवासन एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 8 जुलाई, 2019 को लोकसभा में सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली) संशोधन विधेयक, 2019 पेश किया। विधेयक सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली) एक्ट, 1971 में संशोधन करता है। एक्ट कुछ मामलों में सार्वजनिक परिसरों से अनाधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली का प्रावधान करता है।

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